सत्यपाल सिंह राजपूत, रायपुर। धर्म संसद बहुत ज़रूरी है, लेकिन धर्म संसद में जो अधर्मी घुस रहे हैं, उसका विरोध कर रहे हैं. जैसा कि एक डॉक्टर किडनी निकाल देता है, तो सभी डॉक्टर को गाली नहीं देते. जब तक अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के नाम पर धार्मिक भावनाओं को खंडित किया जा रहा है. यह बात सद्गुरु रितेश्वर महाराज ने धर्म संसद को लेकर पत्रकारों से चर्चा में कही.
एक दिवसीय प्रवास पर छत्तीसगढ़ पहुँचे रितेश्वर महाराज अपने भक्तों से गीतांजलि सिटी आश्रम में आशीर्वचन दे रहे हैं. इस अवसर पर लल्लूराम डॉट कॉम से उन्होंने विभिन्न विषयों पर चर्चा की. उत्तर प्रदेश चुनाव को लेकर महाराज ने कहा कि सभी अपना प्रयास कर रहे हैं. छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री अपनी-अपनी पार्टी का कमान संभाले हुए हैं. जो जनप्रिय, लोकप्रिय होंगे, उन्हें जनता चुनेगी. वहीं हिजाब के विवाद पर कहा कि ये दल का दलदल है. संविधान सर्वोपरि है. जो संविधान कहेगा, वो सभी पालन करेंगे.
महाराज ने शराब बंदी को लेकर कहा जहाँ शराबबंदी करते हैं, वह आलोचना होती है. जहाँ शराबबंदी नहीं होता, वहाँ भी आलोचना होता है. शराब पीकर हज़ारों लाखों परिवार बर्बाद हो रहे हैं. राष्ट्र के लिए सब एकमत होकर काम करने की ज़रूरत है. सभी को एकमत होकर शराब को लेकर फ़ैसला लेने की ज़रूरत है. फिर एक राज्य नहीं दो राज्य नहीं बल्कि पूरे देश में फ़ैसला लेने की ज़रूरत है.
सद्गुरु ने कहा कि दुनिया में सबसे ज़्यादा तकलीफ़देह है वो तनाव है और हर किसी को तनाव और डिप्रेशन का शिकार है. मेडिकल साइंस में तनाव और डिप्रेशन का कोई इलाज नहीं है, लेकिन इसका इलाज अध्यात्म में हैं. वर्तमान समय में हमारी कोशिशें है कि तनाव और डिप्रेशन से दूर करें. मोबाइल सिर्फ़ ग़लत शिक्षा देने के लिए नहीं है, बल्कि इसमें वेद वेदान्त और ध्यान की तमाम सागर अपलोड है. बच्चों को मोबाइल से दूर नहीं रखा जाएगा, लेकिन उसका उपयोग और सदुपयोग के बारे में बताया जाए.
भक्तों को दिए आशीर्वचन
गीतांजलि सिटी आश्रम में भक्तों को आशीर्वचन देते हुए रितेश्वर महाराज ने कहा कि भगवान राम के नाम पर राजनीति हो रही है, और उनके नाम पर होनी भी चाहिए. लेकिन उनके आचार-विचार, न्याय पद्धति को भी अपनाया जाए. लोग देश सुधारने की बात करते हैं, वे पहले ख़ुद सुधार जाए. नशा नाश कर देता है यह हम सभी जानते हैं. लेकिन अधिकतर समय यह देखने को मिलता है, जो नशाबंदी की माँग करते हैं, वो स्वयं नशा में ही रहते हैं. सुबह शराब बंदी की माँग करते हैं, और शाम को ख़ुद जाकर चढ़ाते हैं.
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महाराज ने कहा कि लोग अपने अधिकार की बात करते हैं, लेकिन अपने कर्तव्यों को भूल गए हैं. अपने कर्तव्यों पर ध्यान दें, स्वयं तनावमुक्त रहे, इसके लिए हमने अभियान छेड़ दिया है. जहाँ-जहाँ तनावमुक्त को लेकर शिविर करते हैं. सालों से तनाव दूर करने के लिए दवा सेवन करने वाले लोग कहते हैं कि जो सालों में नहीं हो पाया वो दो -तीन दिन के शिविर में हो जाता है.
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