दंतेवाड़ा। छत्तीसगढ़ में विधानसभा चुनाव में मतदान के लिए माओवादियों की मांद कहे जाने वाले अबूझमाड़ में डीआईजी पुलिस, डीआईजी सीआरपीएफ और पुलिस कप्तान पहुंचे है. अबूझमाड़ माओवादियों की सुरक्षित शरण स्थली के रूप जानी जाती है. जहां इंद्रावती नदी के उस पार कई दशकों से मतदान केंद्र नही बना था, लेकिन इस चुनाव में पहली बार यहां ग्रामीण मतदान करेगें.

ऐसा नहीं कि यहां के लोग मतदान नही करते, लेकिन इनको दशकों से कई किलोमीटर पैदल चलकर मतदान करना होता था. इससे मतदान प्रतिशत भी बहुत कम होता था, साथ ही नक्सल दबाव भी ग्रामीणों पर अधिक रहता था. लेकिन अब यहां परिस्थतियां बदल रही है, पुलिस अधिकारियों का दावा है कि यहां अब बेखौफ ग्रामीण मतदान करेगें.

अबूझमाड़ का हाल जानने पहुंचे वरिष्ठ पुलिस अधिकारी

अबूझमाड़ का हाल जानने खुद डीआईजी कमलोचन कश्यप, पुलिस उप महानिरीक्षक परिचालन सीआरपीएफ विकास कठेरिया व पुलिस अधीक्षक दन्तेवाड़ा गौरव राय ने बारसूर थाना क्षेत्र में आने वाले इन्द्रावती नदी के पार माड़ क्षेत्र स्थित चेरपाल, हांदावाड़ा, हितावाड़ा छोटेकरका और पाहुरनार ग्रामों के मतदान केन्द्रों का निरीक्षण किया. अधिकारियों ने बताया की पहले इन गांव के ग्रामीणों को मतदान के लिए लंबी दूर तय करनी पड़ती थी, अब वे अपने गांवों में ही मतदान कर पायेंगे.

पुलिस फोर्स की माड़ इलाके में पैनी नजर

इंद्रावती नदी के पार माओवादियों की अच्छी-खासी पकड़ रही है. इंद्रवाती नदी पर पुल बनने से माओवादियों की कमर टूटी है. अब यहां आना-जाना सुगम हुआ है. यहां पहली बार मतदान होना है. इसीलिए अधिकारियों और पुलिस फोर्स की माड़ इलाके में पैनी नजर है. यह इलाका माओवादियों की पानाहगाह रहा है. पुलिस अधिकारियों का माड़ में सुरक्षित चुनाव कराना प्रथम प्रथमिकता है. इसलिए ग्रामीणों का हौसला अफजाई करने खुद अधिकारी माड़ क्षेत्र में रहे और समय भी व्यतरीत किया. ऐसा नहीं की यहा के लोग मतदान नही करते, लेकिन इनको दसको से कई किलोमीटर पैदल चलकर मतदान करना होता था.

फ्री, फियर, सेफ एंड स्क्यिोर की थीम पर होगा मतदान

माड़ क्षेत्र में इस बार चुनाव में स्वतंत्र, निर्भीक, निष्पक्ष और सुरक्षा की थीम पर मतदान करवाया जाएगा. नदी पार जितने भी मतदान केंद्र है वे अति संवेदनशील है. इन मतदान केंद्रो पर चुनाव करना चुनाव आयोग के लिए चुनौतीपूर्ण रहा है. यहां आधा दर्जन से अधिक मतदान केंद्र है. पहले इन मतदान केंद्रों को नदी के इस पार शिफ्ट करना पड़ता था. अब परिस्थतियां बदल रही है और लोग अपने ही गांव में मतदान करना चाहते हैं. उनकी भावनाओं को ध्यान में रखते हुए प्रशासन फ्री, फियर, सेफ एंड स्क्यिोर की थीम पर मतदान कराने जा रही है. इसके लिए 47 बटालियन अतिरिक्त बलाई गई है, साथ ही पुलिस के लोकल जवान और पहले से मौजूद 19 बटालियन का भी सुरक्षित चुनाव कराने में अहम रोल रहेगा. इतना ही अति संवेनशील क्षेत्र की ड्रोन से निगरानी की जा रही है.

22 नहीं अब सिर्फ 7 केंद्र शिफ्ट

जिले के 273 मतदान केंद्रों में 155 अति संवेदनशील, 67 संवेदनशील इन्हीं केद्रों में मतदान करवाना प्रशासन के लिए टेढ़ीखीर साबित होती थी, लेकिन अब तस्वीर बदल रही है. 2023 नबंवर के चुनाव में प्रशासन के लिए राहत की बात है कि सवेदनशील और अति संवेदनशील मतदान केंद्रों की संख्या कम होते जा रही है. प्रशासनिक अधिकारियों की बात मानें तो अगले हफ्ते होने वाले चुनाव में 155 केंद्र अति संवेदनशील और 67 संवेदनशील रह गए हैं. राहत की एक और बड़ी बात है कि इसबार विधान सभा चुनाव में सात केंद्रों को ही शिफ्ट किया गया है. जबकि पिछले विधान सभा में 22 केंद्रों को शिफ्ट किया गया था। बावजूद इसके अदरूनी इलाकों में चुनाव कराना प्रशासन के लिए अभी भी चुनौती बना हुआ है.

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