रामलाल के घर के पीछे… पानी टंकी के पास…गली नंबर 2… मकान नंबर 420… यदि आप ऐसे ही अब तक अपने घर का पता लिखते आए हैं, तो अब आपको ऐसा पता लिखने की जरूरत नहीं है. क्योंकि संभव है कि ऐसा पता लिखने के बाद भी आपके घर में पोस्टमैन या डिलिवरी ब्वॉय कोरियर किया हुआ सामान न पहुंचा पा रहा हो. लेकिन अब मोदी सरकार डिजिटल क्रांति के तहत आपके घर का डिजिटल एड्रेस कोड तैयार (Digital Address Code) कर रही है.

संचार मंत्रालय का डाक विभाग अब पुराने एड्रेस लिखने के पैटर्न को बदलने की तैयारी में है. हर राज्य, शहर-गांव, मोहल्ले के हर भवन का यूनीक कोड होगा और वह भी डिजिटल. पिन कोड की जगह लेने वाला यह डिजिटल एड्रेस कोड (Digital Address Code) हर भवन के लिए डिजिटल को-ऑर्डिनेट्स की तरह काम करेगा.

यानी अगर एक बल्डिंग में 50 फ्लैट हैं तो हर फ्लैट का अलग कोड होगा. वहीं अगर एक मकान की दो मंजिल पर दो परिवार रहते हैं तो दो कोड बनेंगे. पुराने एड्रेस लिखने के तरीके से Google Map भी मदद नहीं करता है. लेकिन जल्द ही सरकार की तरफ से देश के हर एक नागरिक को एक यूनीक कोड उपलब्ध कराया जाएगा. इस कोड को आप टाइप करके या फिर क्यूआर कोड की तरह स्कैन करके घर की सटीक लोकेशन हासिल कर पाएंगे. इस तरह बिना एड्रेस फीड किये आपके कई सारे काम इस कोड की मदद से पूरे हो सकेंगे. इस कोड में डिजिटल मैप्स भी देख सकेंगे.

ऐसे होगा डीएसी से फायदा

यह योजना डाक विभाग की है, यानी प्राथमिक उद्देश्य हर तरह के सामान की सही पते पर डिलीवरी सुनिश्चित करना है. जो भी प्लेटफॉर्म्स डिजिटल मैप के जरिये डिलीवरी के लिए पते को लोकेट करते हैं, वे डीएसी के जरिये इसे सटीक बना सकते हैं. हर घर का ऑनलाइन एड्रेस वेरिफिकेशन किया जा सकेगा. बैंकिंग, बीमा और टेलीकॉम के लिए एड्रेस का प्रमाण नहीं देना होगा. यह एक तरह से ई-केवाईसी के तौर पर काम करेगा.प्रॉपर्टी, टैक्सेशन, आपदा प्रबंधन, आपात सेवाओं, चुनाव प्रबंधन और जनगणना एवं जनसंख्या रजिस्टर तैयार करने में आसानी होगी.

कैसे बनेगा Digital Address Code

भारत में मौजूदा वक्त में करीब 75 करोड़ घर है. इन सभी घरों के लिए डिजिटल यूनीक कोड बनाया जाएगा. डीएसी हर पते को डिजिटल अथेंटिकेशन यानी प्रमाणीकरण करेगा. डिजिटल एड्रेस कोड बनाने के लिए देश के हर घर को अलग-अलग आइडेंटिफाइ किया जाएगा. और एड्रेस को जियोस्पेशियल कोऑर्डिनेट्स (geospatial coordinates) से लिंक किया जाएगा, जिससे हर किसी के एड्रेस को सड़क या मोहल्ले से नहीं बल्कि नंबर्स और अक्षरों वाले एक कोड से हमेशा पहचाना जा सके. यह कोड एक स्थायी कोड होगा.

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