शब्बीर अहमद,भोपाल। मध्यप्रदेश में शिवराज सरकार ने नई शराब नीति बनाई है. इस पर पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने कई सवाल खड़े किए हैं. उन्होंने कहा कि प्रदेश में अनाज सस्ता होना चाहिए, लेकिन अनाज महंगा और शराब सस्ती हो रही है. सरकार कह रही है कि अवैध शराब को रोकने के लिए यह नीति बनाई गई है, लेकिन नकली शराब से लोग मर रहे हैं. इसके पहले भिंड मुरैना में दो की मौत हो चुकी है. उसको रोकने के लिए यह नीति बनाई है, लेकिन अवैध शराब कैसे बिक रही है, कौन बेच रहा है ?

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पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने कहा कि कई बार हम इस बारे में शिकायत भी कर चुके हैं. कलेक्टर, एसपी और भोपाल के बड़े अधिकारी मंत्रीगण की आपस में मिलीभगत के चलते अवैध शराब बिक रही है. उस पर नियंत्रण नहीं किया जा रहा है, सिर्फ मरने के बाद एक्शन लिया जाता है. ये शराब नीति पूरी तरीके से शराब पीने वालों की सहूलियत की हो सकती है, लेकिन आम जनता के लिए नहीं है.

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दिग्विजय सिंह ने कहा कि पता नहीं मंत्रिमंडल में कितने लोग शराब पीते हैं या नहीं पीते है, मुझे नहीं पता, जिन लोगों ने शराब नीति बनाई है उसमें कितने लोग शराब पीते हैं, लेकिन यह जरूर है कि शिवराज सरकार में शराबियों को सहूलियत दी गई है. उमा भारती शराबबंदी करना चाहती हैं. शिवराज सरकार शराब सस्ती और सरल करना चाहते हैं. अब ये बात दोनों में तय होनी चाहिए कि क्या चाहते हैं ?

जानिए शराब पर और क्या-क्या निर्णय लिए गए ?

  • सभी जिलों की देशी/विदेशी शराब दुकानों का निष्पादन छोटे एकल समूहों के अनुरूप किया जा सकेगा.
  • समस्त मदिरा दुकानें कम्पोजिट शाप होंगी, जिससे अवैध मदिरा विक्रय की स्थितियां नहीं बनेंगी.
  • कलेक्टर और जिलों के विधायकगण की उच्च स्तरीय जिला समिति को उनके जिले की स्थानीय आवश्यकताओं के अनुरूप मदिरा दुकानों के अनुरूप भौगोलिक दृष्टि से स्थान परिवर्तन कर अधिकार होगा.
  • प्रदेश के किसानों द्वारा उत्पादित अंगूर का उपयोग कर प्रदेश में बनी वाइन पर डयूटी नहीं होगी.
  • देशी मदिरा प्रदाय व्यवस्था में प्रदेश के असवकों के मध्य जिलेवार निविदा बुलाई जा सकेगी. इस साल टेट्रा पैकिंग की दर भी बुलाई जा सकेगी.
  • राजस्व की क्षति रोकने के लिये ई-आबकारी व्यवस्था लागू होगी. इसमें मदिरा का ट्रेक एंड ट्रेस, क्यूआर कोड स्कैनिंग, वैधता का परीक्षण आसान होगा.
  • हेरिटेज मदिरा नीति. महुआ फूल से बनी शराब की पायलट परियोजना की अनुमति दी गई है. इसके बाद इसे मंत्रिमंडल की उप समिति के सामने प्रस्तुत किया जाएगा.
  • वर्ष 2022-23 में नये बार लाइसेंस की स्वीकृति शासन द्वारा निर्धारित मापदंडों के अनुरूप कलेक्टर स्तर से ही की जाएगी.
  • पर्यटन की दृष्टि से महत्वपूर्ण स्थलों पर इको टूरिज्म बोर्ड द्वारा संचालित इकाइयों, पर्यटन विकास निगम की अस्थाई स्वरूप की इकाइयों को रियायती दरों, सरल प्रक्रियाओं/मापदंडों के आधार पर बार लाइसेंस दिये जा सकेंगे.
  • सभी एयरपोर्ट पर विदेशी मदिरा विक्रय काउंटर खोला जा सकेगा.
  • इंदौर, भोपाल, जबलपुर, ग्वालियर में चयनित सुपर मार्केट में फिक्स लाइसेंस फीस पर वाइन विक्रय के काउंटर संचालित करने के लिये लाइसेंस जारी किये जा सकेंगे.
  • इंदौर और भोपाल में माइक्रो बेवरीज खोलने की अनुमति दी जायेगी, लेकिन पर्यावरण, विदयुत विभागों और नगर निगम का अनापत्तिल प्रमाण पत्र जरूरी होगा.
  • शराब आयात की प्रक्रिया को सरल बनाया जा सकेगा.
  • होम बार लाइसेंस दिया जा सकेगा. जिसके लिये 50 हजार रूपये वार्षिक लाइसेंस फीस होगी. इसकी पात्रता उन्हीं को होगी जिनकी सकल व्यक्तिगत आय न्यूनतम एक करोड़ हो.

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