पुरूषोत्तम पात्रा, गरियाबंद। एसडीओ आर के सिंघई अपने अड़ियल रवैये के चलते एक बार फिर डिप्लोमा इंजीनियर संघ के रेडार में आ गए है. उन पर इंजीनियरों को बेवजह गाली गलौच, वेतन कटौती, सीआर खराब करने, धमकी व बेवजह सोकाज नोटिस देकर मानसिक रूप से प्रताड़ित करने का आरोप उनके अधीनस्थ इंजीनियरों ने लगाया है. गुरुवार को छतीसगढ़ डिप्लोमा इंजीनियर संघ के जिला अध्यक्ष संतोष कूमार साहू के नेतृत्व में प्रतिनिधि मंडल ने कलेक्टर नीलेश क्षीरसागर को ज्ञापन देते हुए कार्यवाही की मांग की है. कलेक्टर ने इस मांग को गम्भीरता से लेते हुए डिप्टी कलेक्टर जेआर चौरसिया को जांच अधिकारी नियुक्ति कर जल्द ही रिपोर्ट प्रस्तुत करने का निर्देश दिया है. जांच रिपोर्ट आने के बाद उचित कार्यवाही करने का भरोसा भी दिलाया है.

जिला अध्यक्ष सन्तोष साहू ने बताया कि 28 व 29 जनवरी को देवभोग एसडीओ आर के सिंघई द्वारा इंजीनियर दीपक पाठक के साथ अमर्यादित भाषा का प्रयोग करते हुए गाली गलौच किया है, उनका ऐसा रवैया सभी इंजीनियरों के साथ रहता है. सीआर खराब करने, वेतन काटने के अलावा निरन्तर कार्य करने वाले इंजीनियरों को दुर्भावना पूर्वक कार्य मे अनुपस्थित होने का सो-काज जारी किया जाता है. संघ के प्रांता अध्यक्ष आरके रिछारिया के नेतृत्व में 1 फरवरी को सिंचाई विभाग सचिव के समक्ष ज्ञापन सौंपकर हटाने की मांग की थी. पत्र में यह उल्लेख किया गया है कि फिंगेश्वर एवं रुद्री में एसडीओ रहते हुए भी इसी तरह मातहतों के साथ इनका रवैया था. बर्ताव की शिकायत के बाद अन्यत्र तबादला किया गया था. लेकिन उनके आचरण में सुधार नहीं आया. इसलिए अब सिंघई के खिलाफ कर्मचारी आचरण नियम संहिता के तहत कार्यवाही की मांग की गई है.

झगड़े से खुली सिंचाई विभाग की कलई

मामले में एसडीओ आर के सिंघई ने अपना पक्ष रखते हुए बताया कि इंजीनियरों की लापरवाही पर कार्यवाही के लिए पत्राचार हुए तो जांच का सामना करने के बजाय बेबुनियाद आरोप लगाकर इंजीनियर पर्दा डालने में लगे हुए हैं. कुछ तो खुद एसडीओ बनने की इच्छा रखते है इसलिए मेरे खिलाफ माहौल बनवा रहे हैं, मैं हर जांच के लिए तैयार हूं.

लंबित 19 कार्यों के लिए 15 बार किया पत्राचार

सिंचाई उपसंभाग में मनरेगा के तहत वर्ष 2013-14 में विभिन्न जलाशय, एनीकट, जलप्लावन योजनाओं के नहर सफाई, स्ट्रक्चर निर्माण स्वीकृत कार्यों में अब तक 19 कार्यों के सीसी जारी नहीं हुए है. रिकार्ड में कार्य अधूरा होने के कारण जिला पंचायत से जवाब मांगा जा है. 2018-19 से अब तक सम्बंधित इंजीनियरों से 15 बार पत्राचार किया जा चुका है पर इस राष्ट्रीय योजना के प्रति किसी ने गम्भीरता नहीं दिखाया.

जांच कमेटी बनी लेकिन दस्तावेज उपलब्ध नहीं कराया

सिंघई ने बताया कि मनरेगा के लंबित 19 कार्यों में 4 करोड़ से ज्यादा लागत के 8 कार्य जांच के दायरे में है, मजदूरों के अनुपात में मटेरियल के ज्यादा बिल लगाकर राशि आहरण हुआ है. जुलाई 2020 को जिला पंचायत ने जांच कमेटी गठित किया है. पर लिप्त इंजीनियरों ने आज तक चाही गई दस्तावेज उपलब्ध जांच दल के समक्ष उपलब्ध नहीं कराया है.

10 लाख की रिकवरी भी

मनरेगा के तहत कराए गए इंदागाव कोटरी जलाशय निर्माण कार्य की सामाजिक अंकेक्षण में 9 लाख 46 हजार की रिकव्हरी इंजीनियर पर है. इसी तरह तेलनदी नहर मरम्मत व अन्य एक कार्य मिलाकर 10 लाख से ज्यादा की रिकवरी निकली है.

भ्रष्टाचार को लेकर सुर्खियों में रहा जलसंसाधन विभाग

सरकार के बदलते ही गरियाबंद जलसंसाधन विभाग शुरू से ही भ्रष्टाचार को लेकर सुर्खियों में रहा है. अभनपुर विधायक धनेंद्र साहू ने विधानसभा के दूसरे सत्र में ही टेंडर के बजाए पीस वर्क में कराए गए करोड़ों के काम को लेकर सवाल खड़ा किया था. जांच के आदेश भी हुए पर नतीजा सिफर रहा. दो माह पहले जिपं अध्यक्ष स्मृति ठाकुर ने अमाड़ डायवर्सन व रताखड़ सिंचाई योजना में लाखों के भ्रष्टाचार के आरोप लगाया है, कछुवा गति से चल रही जांच को लेकर जिपं अध्यक्ष ने नाराजगी व्यक्त की है. वर्तमान में विभाग के अफसर व मातहतों के बीच उपजे कलह को भी भ्रष्टाचार व अनियमितता से जोड़ कर देखा जा रहा है. विवाद के बीच निकल कर आ रहे तथ्य भी इसी ओर संकेत कर रहे हैं.