रायपुर. एक तरफ तो प्रदेश सरकार किसानों के हितों की बात करती है, लेकिन इन हितों की बातों से किसानों को कितना लाभ मिलता है, इसका एक बेहद चौकाने वाला मामला सामने आया है.
प्रदेश के सैकड़ों किसानों को उद्यानिकी विभाग ने पपीते की खेती में मिलने वाली सब्सिडी नहीं दी है. ये सब्सिडी केंद्र और राज्य के अंश पर किसानों को हर साल दी जाती है. लेकिन इस वर्ष कृषि मंत्री रविंद्र चौबे के विधानसभा क्षेत्र साजा के 1 दर्जन से ज्यादा किसान पपीते की खेती के लिए मिलने वाली सब्सिडी न मिलने से परेशान है और अधिकारी हैं कि उन्हें दर-दर की ठोकरें लगवा रहे है.
केंद्र की फल विस्तार योजना के तहत किसानों को पपीते की खेती करने के लिए प्रति एकड़ 12 हजार रुपए की दर से सब्सिडी दी जाती है. ये सब्सिडी उन्हें मिलती है जो पंजीकृत नर्सरी से पपीते के पौधे खरीदते है. प्रदेश के 500 से ज्यादा किसानों ने कृषि विभाग से पंजीकृत नर्सरी से पपीते के पौधे खरीदकर खेती की, लेकिन अब उन्हें विभाग सब्सिडी देने के लिए चक्कर लगवा रहे है.
इतना ही नहीं कई जिलों में कृषि विभाग से जुड़े अधिकारियों ने तो किसानों के खेत का मुआयना तक नहीं किया कि किसान ने पपीते की खेती की भी या नहीं, अब आलम ये है कि कई किसानों की फसल बर्बाद हो चुकी है और अब उनके खेतों में पपीते के झाड़ के खाली ठुठ बचे है.
इन जिलों के किसानों को चक्कर लगवा रहे उद्यानिकी विभाग के किसान
बेमेतरा, कवर्धा, रायपुर, दुर्ग, बिलासपुर, मुंगेली, समेत अन्य