उदयपुर. कांग्रेस के ‘चिंतन शिविर’ में ‘हिंदुत्व’ के मुद्दे पर गहरी चर्चा हुई. जिसमें पार्टी के नेता दो अलग-अलग धुरियों पर खड़े नजर आए. कांग्रेस के कई सदस्यों खासकर उत्तर प्रदेश के नेताओं ने हिंदुत्व को लेकर नरम रुख अपनाने की वकालत की और कहा कि पार्टी को धार्मिक कार्यक्रमों में हिस्सा लेना चाहिए.

दूसरी तरफ कई वरिष्ठ नेताओं का कहना था कि कांग्रेस को अपनी धर्मनिरपेक्ष छवि के साथ ही जुड़े रहना चाहिए. उसे भारतीय जनता पार्टी की राह पर चलकर उसे पीछे करने की कोशिश नहीं करनी चाहिए. उनकी राय में ऐसा करने से पार्टी को और ज्यादा नुकसान ही होगा.

बघेल और कमलनाथ ने की वकालत

छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल और मध्यप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने पार्टी के हिंदुत्व की नरम छवि के साथ चलने की वकालत की. उत्तर प्रदेश के आचार्य प्रमोद कृष्णन भी बघेल और कमलनाथ के समर्थक में रहे और उन्होंने कहा कि पार्टी को हिंदुत्व की नरम छवि अपनाने से घबराना नहीं चाहिए.

कई नेताओं ने किया विरोध

इस बीच कांग्रेस के कुछ नेताओं जैसे महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री पृथ्वीराज चव्हाण और दक्षिण भारत के नेताओं ने इसका पुरजोर विरोध किया. चव्हाण का कहना था कि विचारधारा से संबंधित मुद्दों पर स्पष्टता होनी चाहिए और कांग्रेस को भाजपा की नकल नहीं करनी चाहिए. वहीं कर्नाटक के बीके हरिप्रसाद ने भी कहा कि कांग्रेस को अपनी मूल विचारधारा से ही जुड़े रहना चाहिए.

कांग्रेस को भाजपा की बी टीम नहीं बनना चाहिए

दरअसल, सीएम भूपेश बघेल कई त्योहारों और धार्मिक कार्यक्रमों में हिस्सा लेते रहते हैं. जिसका कांग्रेस के कई नेताओं ने विरोध किया. हो सकता है इन नेताओं का मानना हो कि बघेल ऐसा करके हिंदुओं को रिझाने की कोशिश में लगे हैं. नेताओं का कहना है कि पार्टी को अपनी विचारधारा से भटकना नहीं चाहिए. उन्होंने ये भी तर्क दिया कि इससे अल्पकालिक चुनावी फायदा हो सकता है, लेकिन कांग्रेस को भाजपा की ‘बी’ टीम की तरह नहीं दिखना चाहिए.

कांग्रेस के पाले में एक तरफ वरिष्ठ तो दूसरी तरफ युवा

चिंतन शिविर में नेताओं की ये बहस दो दिन तक जारी रही कि भाजपा के हिंदुत्व के एजेंडे का सामना कैसे किया जाए और कांग्रेस इसे लेकर क्या रुख अपनाएं. कांग्रेस के बुजुर्ग नेता जहां धर्मनिरपेक्ष छवि से जुड़े रहने की वकालत करते रहे, वहीं पार्टी के युवा नेताओं ने हिंदुत्व को लेकर नरम रुख अपनाने की बात की. बता दें कि चिंतन शिविर में हुई बहसों को लेकर कांग्रेस देर शाम अपने निर्णय को जारी कर सकती है.

अयोध्या पर क्रेडिट लेने का प्रस्ताव

हालांकि, ये कहा जा सकता है कि कांग्रेस इस तरह के प्रस्ताव पर अपनी हामी नहीं भरेगी. एक कांग्रेस नेता के कहे मुताबिक जब शिविर के दौरान अयोध्या के मसले पर क्रेडिट लेने का प्रस्ताव किसी नेता ने रखा तो उस प्रस्ताव को खारिज कर दिया गया.

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