रायपुर। छत्तीसगढ़ के शिक्षाकर्मी संविलियन की मांग को लेकर लगातार विरोध-प्रदर्शन करते आ रहे हैं, लेकिन सरकार अभी तक इस मामले में कोई ठोस फैसला नहीं ले पा रही है. पिछले साल 20 नवंबर से लेकर 4 दिसंबर की आधी रात तक शिक्षाकर्मियों ने विभिन्न मांगों को लेकर हड़ताल भी किया था. लेकिन हड़ताल भी आनन-फानन में खत्म कर दी गई थी. इसके बाद शिक्षाकर्मियों की मांगों पर विचार करने के लिए 5 दिसंबर को मुख्य सचिव की अध्यक्षता में कमेटी का भी गठन किया गया था, जिसे अपनी रिपोर्ट 5 मार्च को देनी थी. लेकिन इसकी अवधि पहले 5 अप्रैल तक और फिर अब 5 मई तक बढ़ा दी गई है.

प्रधानमंत्री से करेंगे मुलाकात

संविलियन की मांग को लेकर प्रधानमंत्री से शिक्षाकर्मियों का मोर्चा मिलने के लिए समय मांगेगा. 14 अप्रैल को पीएम मोदी छत्तीसगढ़ के दौरे पर आ रहे हैं और इसी दौरान वे पीएम से मुलाकात करना चाहते हैं. बता दें कि प्रदेश के पौने दो लाख शिक्षक पिछले 17 सालों से संविलियन की मांग को लेकर समय-समय पर निवेदन, ज्ञापन और धरना-प्रदर्शन करते आ रहे हैं. शिक्षक पंचायत नगर निगम मोर्चा के प्रदेश संचालक वीरेंद्र दुबे ने कहा कि वर्तमान सरकार ने विपक्ष में रहते हुए अपने संकल्प पत्र में शिक्षकों की मांगों को सत्ता में आते ही पूर्ण करने का संकल्प लिया था. साथ ही शिक्षकों के हर मंच पर आकर संविलियन करने का वादा किया था.

वीरेंद्र दुबे ने कहा कि पिछले साल शिक्षाकर्मियों के आंदोलन के दौरान पदाधिकारियों को बिना अपराध आधी रात को उनके घर से उठाकर जेल में डाल दिया गया था. शांतिपूर्वक धरना करने के लिए स्थल प्रदान नहीं किया गया, पूरे शहर की पुलिस को शिक्षकों के पीछे लगा दिया गया था. प्रदर्शन करने पहुंचे शिक्षकों को रास्ते में ही गिरफ्तार कर लिया गया था, उन्हों सड़कों पर दौड़ा-दौड़ाकर पीटा गया था. छोटे-छोटे बच्चों तक पर रहम नहीं किया गया था. उन्होंने कहा कि शिक्षाकर्मियों के साथ अपराधियों जैसा व्यवहार सरकार ने किया था.

उन्होंने कहा कि आगामी 14 अप्रैल को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी छत्तीसगढ़ दौरे पर आ रहे हैं, संविलियन के मुद्दे पर चर्चा करने के लिए मोर्चा प्रधानमंत्री से मिलने हेतु प्रधानमंत्री कार्यालय दिल्ली को पत्र लिख कर समय मांगा गया है.