नई दिल्ली। केंद्रीय बजट प्रस्तुत करते हुए वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने एलआईसी (LIC) के विनिवेशीकरण के साथ बीमा क्षेत्र में विदेशी निवेश की सीमा को 49 से बढ़ाकर 74 प्रतिशत करने की घोषणा की है. एलआईसी का आईपीओ लाया जाएगा, जिससे पॉलिसी के साथ आम लोग एलआईसी के शेयर भी खरीद पाएंगे.

वित्त मंत्री की विनिवेशीकरण के साथ एलआईसी ने अपने सफर का एक चक्र पूरा कर लिया है. भारतीय जीवन बीमा निगम का सफर 19 जून 1956 को लाइफ इंश्‍योरेंस कार्पोरेशन एक्ट पास के साथ हुआ था. 1 सितंबर 1956 में लाइफ इंश्‍योरेंस कार्पोरेशन ऑफ इण्डिया की स्थापना हुई. जीवन बीमा को बड़े पैमाने पर फैलाना, खास तौर पर गाँव में, ताकि भारत के हर नागरिक को पर्याप्‍त आर्थिक सहायता उचित दरों पर उपलब्‍ध कराने के उद्देश्य से बीमा कंपनी की स्थापना की गई.

इस दिशा में काम 1938 से शुरु हो गया था. द इंश्‍योरेंस एक्ट 1938 भारत का पहला ऐसा कायदा था, जिसने जीवन बीमा के साथ- साथ सभी बीमा कम्पनियों के उद्योग पर राज्य सरकार का कड़ा नियंत्रण लागू किया. लेकिन इसने गति 1944 में पकड़ी, जब 1938 में लेजिस्‍लेटिव असेम्बली के सामने लाइफ इंश्‍योरेंस एक्ट बिल को संशोधित करने का प्रस्ताव रखा गया. इसके बावजूद भारत में काफी समय के बाद जीवन बीमा कम्पनियों का राष्ट्रीयकरण 18 जनवरी 1956 में हुआ. राष्ट्रीयकरण के समय भारत में करीब 154 जीवन बीमा कम्पनियां, 16 विदेशी कम्पनियां और 75 प्रोविडेंड कम्पनियां कार्यरत थीं.

1956 में एलआईसी के 5 ज़ोनल अधिकारी थे, 33 डिवीज़नल ऑफिसर और 212 शाखा अधिकारी थे, इसके अलावा कार्पोरेट ऑफिस भी बना. वहीं आज की तारीख में कंपनी का कामकाज 2048 शाखा ऑफिस, 113 डिव्हिजनल ऑफिस,  8 ज़ोनल ऑफिस और एक कार्पोरेट ऑफिस से होता है. एलआईसी का वाइड एरिया नेटवर्क 113 डिवीज़नल ऑफिसों को और मेट्रो  एरिया नेटवर्क सभी शाखा ऑफिसों को आपस में जोड़ता है.