रायपुर। एमएमआई हाॅस्पिटल प्रबंधन की कमान हाथ से छूटे जाने के बाद अब पूर्व चेयरमैन सुरेश गोयल के कार्यकाल में हुई गड़बड़ियों की कलई खुलने जा रही है. प्रबंधन की कमान संभालने के बाद नई कार्यकारिणी को ऐसे कई अहम दस्तावेज मिले हैं, जो बताते हैं कि पिछली कार्यकारिणी ने जमकर आर्थिक अनियमितता की है. हाॅस्पिटल के विस्तार के लिए जमीन खरीदी में धांधली करते ही प्रबंधन में शामिल चेहरों ने अपने चहेतों को मोटी दलाली खिलाई. बोगस कंपनी को लाखों रूपए का भुगतान कर दिया गया. मामले का खुलासा तब हुआ, जब कोर्ट के आदेश के बाद हाॅस्पिटल प्रबंधन की बागडोर संस्थापक सदस्यों को मिली. दस्तावेजों के पड़ताल में ऐसी गड़बड़ियां अब फूटकर सामने आ रही है. प्रबंधन ने कहा है कि पूरे मामले की जांच की जा रही है. जल्द ही कई और बड़े मामले सामने आएंगे.

हाॅस्पिटल प्रबंधन के मौजूदा जनरल सेक्रेटरी महेंद्र धाड़ीवाल ने पूर्व चेयरमेन सुरेश गोयल के भाई विरेंद्र गोयल की उस टिप्पणी के बाद सवालों की फेहरिस्त भेजकर जवाब भी मांगा है. दरअसल विरेंद्र गोयल ने एक टीवी चैनल में टिप्पणी करते हुए कहा था कि धाड़ीवाल पैसा खाने वापस प्रबंधन में आए हैं. इस टिप्पणी पर ही सवाल उठाते हुए महेंद्र धाड़ीवाल ने हाॅस्पिटल में हुई धांधली पर कई सवाल दागे हैं. धाड़ीवाल ने विरेंद्र गोयल को चिट्ठी लिखते हुए पूछा है कि यह गौरव अग्रवाल कौन है, जिसे जमीन खरीदी में 50 रूपए स्क्वेयर फीट की दलाली दी गई? ए वी ग्रुप नाम की कंपनी किसकी है, जिसे दलाली में लाखों रूपए दे दिए गए? जबकि कंपनी का कोई रिकार्ड दर्ज नहीं है. न तो पैन नंबर सही है और न ही आफिस का पता. इस नाम पर फर्म है भी या महज दलाली देने के लिए फर्म बना दिया गया? उन्होंने कहा कि इन तमाम सवालों का जवाब अब तक उन्हें नहीं भेजा गया है.

महेंद्र धाड़ीवाल ने कहा कि हम इन तमाम पहलूओं की जांच कर रहे हैं. बिल्डिंग का ठेका भी दिया गया और जमीन खरीदी की दलाली भी. देने वाला बाप और लेने वाला बेटा है. समाजसेवा के उद्देश्य से बनी संस्था में संचालन से जुड़े लोगों के द्वारा आर्थिक फायदा ढूंढा जाना किसी भी लिहाज से उचित नहीं है. उन्होंने कहा कि गौरव अग्रवाल हाॅस्पिटल प्रबंधन के पूर्व सचिव रामअवतार अग्रवाल का बेटा है. उनसे दलाली दिए जाने पर जब पूछताछ की गई, तब उन्होंने अपने जवाब में कहा कि तत्कालीन चेयरमेन सुरेश गोयल के कहने पर यह किया गया. धाड़ीवाल ने कहा कि, तब की कार्यकारिणी आखिर कर क्या रही थी? ज्यादातर सदस्यों को इन धांधलियों की जानकारी नहीं थी. चेयरमेन, सचिव और कोषाध्यक्ष की मिलीभगत की जानकारी कईयों को नहीं थी.

क्या है पूरा मामला?

एमएमआई हाॅस्पिटल के मौजूदा प्रबंधन को पिछली कार्यकारिणी के कुछ लेजर एकाउंट्स मिले थे, जिसमें अस्पताल के पैसों के बंदरबाट का खुलासा हुआ. नई कार्यकारिणी को आशंका है कि इस वजह से पुरानी कार्यकारिणी द्वारा समय पर ऑडिट नहीं कराया जाता था. यही नहीं ऑडिट कभी हो भी जाता तो रिपोर्ट सार्वजनिक नहीं की जाती थी. ऐसा ही एक मामला वित्तीय वर्ष 2015-16 में अस्पताल के ट्रस्टी ने एक जमीन की खरीदी का सामने आया है, जिसके लिए कमीशन के रूप में पूर्व सचिव रामअवतार अग्रवाल के पुत्र गौरव अग्रवाल को लाखों रुपए का भुगतान किया गया.  लेजर एकाउंट्स के अनुसार 15 हजार 9 सौ 25 वर्ग फुट जमीन की खरीदी एमएमआई ट्रस्ट ने की, जिसके कमीशन के रुप में गौरव अग्रवाल को ट्रस्ट ने 50 रुपए प्रति वर्गफुट की दर से 7 लाख 96 हजार 250 रुपए का भुगतान किया. इस भुगतान के बाद ट्रस्ट के एकाउंट्स शाखा में गौरव अग्रवाल को अपना पैन कार्ड और आधार कार्ड जमा करने कहा गया, लेकिन चेक लेने के बाद गौरव अग्रवाल ने न तो अपना पैन कार्ड जमा किया न आधार कार्ड. यही नहीं इसी तरह 01 अप्रैल से 31 मार्च 2020 तक गौरव अग्रवाल को पिछली कार्यकारिणी ने कमीशन और वर्क इन प्रोसेस के नाम पर 32 लाख 41 हजार 125 रुपए का भुगतान किया है, जिसकी जानकारी ट्रस्ट कार्यालय में मौजूद ही नहीं है. अस्पताल के वर्तमान महासचिव महेन्द्र धाड़ीवाल ने बताया कि वर्तमान कोषाध्यक्ष प्रदीप गुप्ता ने जब एकाउंट की जानकारी के लिए पूर्व कोषाध्यक्ष विजयचंद बोथरा से आईडी और पासवर्ड की जानकारी चाही तो पूर्व कोषाध्यक्ष ने देने से इंकार कर दिया. इससे पैसों के हेर-फेर की आशंका और स्पष्ट हो जाती है. उन्होंने बताया कि जानकारी नहीं देने पर पूर्व कार्यकारिणी के खिलाफ वर्तमान कार्यकारिणी एक बार फिर से बिलासपुर हाईकोर्ट का रुख करने की तैयारी कर रहा है.