तेलंगाना. तेलंगाना के मुख्यमंत्री केसीआर ने गुरुवार यानी छह सितंबर को सुबह बुलाई मंत्रिमंडल की बैठक बुलाई में विधानसभा भंग करने का फैसला लिया है. तेलंगाना के राज्यपाल ईएसएल नरसिम्हन ने मुख्यमंत्री चंद्रशेखर राव की विधानसभा भंग करने की सिफारिश को स्वीकार कर लिया है. राज्यपाल ने नई सरकार का गठन होने तक चंद्रशेखर राव से कार्यवाहक मुख्यमंत्री के रूप में पद पर बने रहने का आग्रह किया है.दरअसल मुख्यमंत्री केसीआर अपने लिए छह अंक को लकी मानते हैं, यही वजह है कि उन्होंने छह सितंबर की तिथि को ही विधानसभा भंग करने के लिए चुना.
तेलंगाना में तेलंगाना राष्ट्रीय समिति (टीआरएस )सरकार का कार्यकाल मई 2019 तक का है, मगर मुख्यमंत्री केसीआर इस साल के अंत में चार राज्यों में होने वाले चुनाव के साथ ही यहां भी चुनाव कराना चाहते हैं.राज्य में इस तरह की पिछले कुछ दिनों से अटकलें लग रहीं कि मुख्यमंत्री केसीआर विधानसभा भंग करने के बाद बड़ी रैली का आयोजन कर चुनाव का बिगुल फूकेंगे.
सूत्रों का कहना है कि मुख्यमंत्री केसीआर कई कारणों से समयपूर्व चुनाव चाहते हैं. उनका मानना है कि लोकसभा चुनाव के दौरान राष्ट्रीय मुद्दे गूजेंगे. खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और राहुल गांधी भी खास फोकस करेंगे. ऐसे में सूबे में नुकसान भी हो सकता है. जबकि चार राज्यों के विधानसभा चुनाव के साथ समयपूर्व चुनाव से तेलंगाना राष्ट्रीय समिति को लोकसभा चुनाव की तैयारियों का भी मौका मिल जाएगा.
बताया जा रहा कि टीआरएस की प्रस्तावित जनसभा के लिए सभी इंतजाम कर लिए गए हैं और उम्मीद है कि इस जनसभा में 25 लाख लोग हिस्सा लेंगे. जनसभा के लिए पार्टी ने दो हजार एकड़ की जमीन की भी पहचान कर ली है, जो रंगा रेड्डी जिले में होगा. बता दें कि पिछले सप्ताह मुख्यमंत्री के चंद्रशेखर राव ने दिल्ली जाकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृहमंत्री राजनाथ सिंह से मुलाकात की थी. तभी से राज्य में समय पूर्व चुनाव की अटकलें लगनीं शुरू हुईं.