आशुतोष तिवारी, सुकमा। अनुसूचित जनजाति बाहुल्य बस्तर संभाग में अपार नैसर्गिक क्षमता को देखते हुए मुख्यमंत्री विष्णु देव साय के निर्देशन में बस्तर ओलंपिक का आयोजन किया जा रहा है. अच्छे उद्देश्य से सुकमा मिनी स्टेडियम में किए जा रहे इस महती आयोजन में जिला प्रशासन की बदइंतजामी भारी पड़ रही है. यह भी पढ़ें : आंगनबाड़ी सहायिका भर्ती में गड़बड़ी, फर्जी अंकसूची के सहारे नियुक्ति पाने का आरोप, थाने में हुई शिकायत…

कोंटा ब्लॉक से आए 700 से अधिक खिलाड़ियों को नाश्ते और भोजन की पर्याप्त व्यवस्था नहीं दी गई. सुबह 11 बजे केवल पोहा परोसा गया और शाम 5.30 बजे तक बच्चों को कोई अन्य खाना नहीं मिला. खेलों में भाग लेने के लिए बच्चों को भूखे पेट खेलना पड़ा, जिससे उनकी थकावट और परेशानी साफ नजर आई. बच्चों ने बताया कि शाम को जब खाना मिला, तब तक वे बहुत थक चुके थे. उनके साथ आए शिक्षक भी भूखे थे.

बच्चों-शिक्षकों में देखने को मिली नाराजगी

नक्सल प्रभावित इलाकों से पहली बार जिला मुख्यालय पहुंचे कई बच्चे और ग्रामीण इन अव्यवस्थाओं से इस कदर नाराज हुए की उन्होंने कह दिया यदि इस अव्यवस्था का उन्हें तनिक भी अंदाजा होता तो खेती-किसानी के अलावा अन्य कामों को छोड़कर कभी यहां नहीं आते. यही नहीं आयोजन के दौरान कोंटा से आए शिक्षक और अधिकारियों की भी गैरमौजूदगी देखी गई. इस तरह से बच्चों की देखरेख के लिए जिन लोगों की ड्यूटी लगाई गई थी, वे भी जिम्मेदारी निभाने में विफल रहे.

अंदरुनी इलाकों से पहुंचे बच्चों में दिखा उत्साह

भले ही आयोजन में अव्यवस्थाएं रही हों लेकिन इन खेलों के लिए नक्सल प्रभावित इलाकों से आए बच्चों और ग्रामीणों में उत्साह देखने को मिला. जगरगुंडा, चिंतलनार, किस्टाराम, और एर्राबोर जैसे अंदरूनी इलाकों के बच्चे पहली बार जिला मुख्यालय पहुंचे. वहीं बच्चों के साथ आए शिक्षक बच्चों के उत्साह को देख गदगद नजर आए. उन्होंने कहा कि इस तरह का आयोजन हर साल होने चाहिए, जिससे नैसर्गिक प्रतिभा के धनी आदिवासी बच्चों को अपनी क्षमता प्रदर्शित करने का मौका मिल सके.

लापरवाही पर प्रशासन तय करे जवाबदेही

आयोजन में शामिल होने आए शिक्षकों ने नाम न छापने की शर्त पर लल्लूराम डॉट कॉम से चर्चा में कहा कि बस्तर ओलंपिक सराहनीय पहल है. इसका उद्देश्य आदिवासी बच्चों की प्रतिभा को निखारना है, लेकिन बुनियादी सुविधाओं की कमी और प्रशासनिक अनदेखी इस उद्देश्य को कमजोर करती है. खिलाड़ियों को पर्याप्त भोजन, आराम, और देखरेख जैसी बुनियादी सुविधाएं देने की विफलता पर प्रशासन को जवाबदेही तय करनी चाहिए.

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