सत्यपाल सिंह राजपूत रायपुर। कहते हैं हड़बड़ी में गड़बड़ी हो ही जाती है. और गड़बड़ी ज्यादा तक छिप भी नहीं पाती. ऐसा कुछ हुआ रायपुर में. यहाँ प्रभारी कमिश्नर को अपने अधिनस्त कर्मचारियों को पदोन्नति देने की इतनी जल्दी थी, कि साहब सूची जारी करते वक्त यह भी नहीं देख पाए कि जिन्हें वे पदोन्नत कर रहे हैं उसमें एक कर्मचारी की मौत हो चुकी है.
यह मामला तो तब सामने आया जब कर्मचारी संघ की ओर से इस मामले में हल्ला बोला गया. कर्मचारी संघ के पास जैसे पदोन्नति आदेश सूची पहुँची वे यह देखकर दंग रह गए कि इसमें उनके एक ऐसे साथी का भी नाम जिनकी मौत दो महीने पहले हो चुकी है. जिस कर्मचारी को पदोन्नति दी गई उसमें जे. नाग का नाम शामिल है. जे. नाग. धमतरी जिला मगरलोड के जनपद कार्यालय में लेखापाल के पद पदस्थ थे, उन्हें पदोन्नत करते रायपुर संभाग आयुक्त कार्यालय में पदस्थापना दी गई थी. हैरानी की बात ये पदोन्नति आदेश ठीक उसी दिन जारी हुआ जिस प्रदेश में नगरीय निकाय चुनाव को लेकर आचार संहिता लगी.
प्रदेश कर्मचारी संघ महामंत्री विजय झा दस्तावेजों के साथ इस पूरे मामले का खुलासा करते हुए कहते हैं कि इसमें बड़ी गड़बड़ी हुई है. उन्होंने तो यह आरोप भी लगाया है कि प्रभारी कमिश्नर दिलीप वासनीकर ने अपने चेहतों को फायदा पहुँचाने ही यह गड़बड़ी की है. उनका यह भी आरोप है कि पदोन्नति आदेश में जिन कर्मचारियों का नाम है वे सीनियरों से 8 से 10 वर्ष तक के जुनियर हैं. यही नहीं पदोन्नति नियमों को ताक पर रख कर की गई है. पदोन्नति सूची में सिर्फ एसटी-एससी वर्ग के ही कर्मचारी शामिल हैं. जबिक नियम यह कहता है कि पदोन्नति के दौरान सभी वर्गों का समावेश हो. लेकिन जो सूची जारी हुई इसमें ऐसा नहीं है. पदोन्नति के लिए 100 बिंदुओं का नियमावली है. इस नियम को भी दरकिनार भी किया गया है.
विजय कुमार झा बताते हैं कि संभागायुक्त जेआर चुरेंद्र के प्रशिक्षण अवकाश पर जाने के बाद दुर्ग संभागायुक्त दिलीप वासनीकर को चार नवंबर को प्रभार दिया गया था. नियमानुसार प्रभारी अधिकारी को पूर्णकालिक अधिकार नहीं होता वह सिर्फ पुराने चालू कामकाज का निष्पादन करते हैं. लेकिन दिलीप वासनीकर ने नियमों को ताक पर रखते हुए पदोन्नति आदेश जारी कर दिया. उन्होंने कहा कि इस मामले में अगर सुधार नहीं हुआ तो कर्मचारी संघ पदोन्नति आदेश के खिलाफ कोर्ट जाएगा.