रायपुर। राजधानी रायपुर के समता कॉलोनी में स्थित है- ‘दिव्यांग बालिका विकास गृह’. ये संस्था दिव्यांग बालिकाओं के सपनों को नई दिशा दे रहा है. इसकी स्थापना 1982 में महाराष्ट्र मंडल ने की थी. तब से लेकर आज तक कितनी ही दिव्यांग लड़कियों को इस संस्था ने नई जिंदगी दी है. इसे खोले जाने का मकसद था- पोलियोग्रस्त निःशक्त और दृष्टिहीन बालिकाओं का इलाज, शिक्षा और उन्हें स्वावलंबी बनाना और इसमें ये संस्था पूरी तरह से कामयाब हुआ है. आज यहां से अब तक 129 दिव्यांग बालिकाएं निकल चुकी हैं और बड़े-बड़े पदों पर आसीन हैं. प्रदेश के अलग-अलग जिलों से यहां दिव्यांग बालिकाएं आकर पढ़ाई कर रही हैं. यहां इनके लिए लाइब्रेरी, कंप्यूटर रूम से लेकर तमाम सुविधाएं मौजूद हैं.

छत्तीसगढ़ का पहला बैरियरलेस गार्डन

दिव्यांग बालिका विकास गृह में छत्तीसगढ़ का पहला बैरियरलेस गार्डन भी बनाया गया है, जो खास दिव्यांगों के लिए है. यहां वे लोग भी आराम से खेल-कूद और अपना मनोरंजन कर सकते हैं, जो 100 फीसदी दृष्टिहीन हैं. गार्डन में चलने के लिए फुटपाथ भी है, जिस पर ब्रेल लिपि में लिखा हुआ है. इस गार्डन में जगह-जगह पर ब्रेल लिपि में जानकारी लिखी हुई है. इस पार्क का शुभारंभ मुख्यमंत्री डॉ रमन सिंह ने किया था. इस पर चलकर आसानी से कोई भी दृष्टिहीन वहां पहुंच सकता है, जहां उसे जाना है.

वहीं महाराष्ट्र मंडल ने वाघोलीकर मेडिकल इक्विपमेंट योजना के तहत जरूरतमंदों को 10 रुपए की दर पर व्हील चेयर, वॉकर, मेडिकल एयर और वॉटर बेड, ऑक्सीजन सिलेंडर, बैसाखी देने की व्यवस्था की है.

इस संस्था को लेकर सराहनीय प्रयास के लिए करीब 2 साल पहले मुख्यमंत्री डॉ रमन सिंह ने महाराष्ट्र मंडल को सम्मानित भी किया था.