विनोद दुबे, रायपुर। राज्य का पहला सरकारी सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल शुरु हुए अभी कुछ ही महीने हुए हैं कि एक के बाद एक कई विवादों से इसका नाता जुड़ता जा रहा है. ताजा मामला अस्पताल के प्रशासनिक अधिकारी की पोस्ट को लेकर है. आचार संहिता लगने के बाद इस पोस्ट पर एक महिला को बैठाया गया है. सबसे दिलचस्प बात यह है कि यह महिला प्रशासनिक अधिकारी बगैर किसी वैध नियुक्ति के इस पद पर कार्य कर रही हैं. जिसे लेकर अब विवाद की स्थिति उत्पन्न हो गई है.

हम बात कर रहे हैं प्रशासनिक अधिकारी के पद पर कार्य कर रही दीप्ती राज नाम की एक महिला की. सूत्रों के मुताबिक वे मार्च महीने से यहां पर काम कर रही हैं. उन्हें डायरेक्टर और आईएएस अधिकारी भुवनेश यादव के बाजू का कमरा दिया गया है. इस जगह पर केवल अस्पताल अधीक्षक केके सहारे और डायरेक्टर का ही कार्यालय है बाकी लोगों के कार्यालय दूसरी जगह पर मौजूद है.

दीप्ती राज यहां हर रोज आती हैं. सूत्रों के मुताबिक अस्पताल से जुड़ी तमाम फाईलें भी वे तलब करती हैं और उनके पास कुछ गोपनीय फाइलों की जेराक्स कॉपी भी मौजूद है.उन्हें डायरेक्टर के बाजू वाला चेंबर भी मिल गया है साथ ही उन्हें कंप्यूटर, प्रिंटर सहित सभी साजो सामान भी मिल गया.

अधीक्षक को भी नहीं जानकारी

अब सवाल यह है कि दीप्ती राज कौन हैं और उनकी नियुक्ति हुई भी है या नहीं, और हुई है तो किसने की. इन तमाम सवालों का जवाब जानना बेहद जरुरी था. हम इसका जवाब जानने के लिए अस्पताल के अधीक्षक से संपर्क किया. जो कि अस्पताल के प्रमुख और तमाम तरह के कर्ताधर्ता भी हैं. जिनके नीचे अस्पताल में काम करने वाले सभी कर्मचारी और अधिकारी आते हैं. लेकिन सबसे मजे की बात यह है कि अधीक्षक केके सहारे को भी दीप्ती के किसी भी राज की कोई जानकारी नहीं थी. मतलब उन्हें भी नहीं पता था कि दीप्ती राज का अस्पताल में अपाइंटमेंट हुआ है. जबकि दीप्ती राज का कमरा उनके कमरे के पास ही मौजूद है और वो रोज अस्पताल आती हैं. उन्होंने साफ कह दिया कि उन्हें दीप्ती राज की नियुक्ति की कोई जानकारी नहीं है, वो किस हैसियत से अस्पताल में आती हैं और यहां काम कर रही हैं. उन्होंने कहा कि इसकी बेहतर जानकारी अस्पताल के डॉयरेक्टर भुवनेश यादव ही दे सकते हैं.

प्लेसमेंट एजेंसी ने भी नहीं की नियुक्ति

जब अस्पताल के प्रमुख को ही नियुक्ति के संबंध में कोई जानकारी नहीं है तो हमने सोचा कि उस प्लेसमेंट एजेंसी से भी इसकी जानकारी ले ली जाए जो अस्पताल में कर्मचारियों को नियुक्त करती है. कहीं उन्होंने तो दीप्ती राज की नियुक्ति नहीं की है. इस संबंध में हमने प्लेसमेंट एजेंसी सीएमएस के डायरेक्टर से संपर्क किया तो उन्होंने बताया कि उनकी कंपनी में इस नाम की कोई कर्मचारी मौजूद नहीं है और न ही उनकी कंपनी ने इस नाम की किसी कर्मचारी को कभी नियुक्त किया है.

काम करने के लिए नियुक्ति जरुरी है क्या?

अब चूंकि अस्पताल के अधीक्षक को इसकी कोई जानकारी नहीं. प्लेसमेंट एजेंसी ने भी इस राज से अनभिज्ञता जाहिर कर दी तो हमने इसका जवाब तलाशने अस्पताल के डायरेक्टर भुवनेश यादव से फोन पर संपर्क किया. जहां उन्होंने सीधा कुछ कहने की बजाय गोलमोल बातें करने लगे और सवाल किया कि काम करने के लिए किसी का अपाइंटमेंट होना जरुरी है क्या.  उनसे ही बातचीत का विस्तृत ब्यौरा आप भी पढ़िये और साथ ही पूरे मसले को समझने की भी कोशिश कीजिये.

सवाल-जवाब

रिपोर्टर- हाल ही में दीप्ती राज का अपाइंटमेंट हुआ है, क्या आपको इसकी जानकारी है

जवाब- किसने बोला आपको कि उनका अपाइंटमेंट हुआ है..

रिपोर्टर- नहीं हुआ क्या

जवाब- नहीं आपको पता है क्या..

रिपोर्टर- हमें ऐसी जानकारी आई है

जवाब- जानकारी होगी तो कुछ डॉक्यूमेंट भी होंगे आपके पास

रिपोर्टर- मैं जानकारी चाह रहा था कि इनका अपाइंटमेंट हुआ है कि नहीं

जवाब- मैं आपसे क्या पूछ रहा हूं, आपके पास कोई डॉक्यूमेंट प्रूफ है

रिपोर्टर- मेरे पास अभी कोई डॉक्यूमेंट नहीं है

जवाब- फिर तो जो फेक्च्युअल है. नहीं है तो वही फैक्च्युअल है सच है

रिपोर्टर- मतलब उनका अपाइंटमेंट नहीं हुआ है, अगर उनका अपाइंटमेंट नहीं हुआ है तो फिर वो वहां काम कैसे कर रही हैं. चंकि वहां पर किसी को उसकी जानकारी नहीं है कि उनका अपाइंटमेंट हुआ है. प्लेसमेंट एजेंसी जो वहां नियुक्त करती है कर्मचारी को उसने भी कहा है कि उन्होंने अपाइंटमेंट नहीं किया है.

जवाब- हां ठीक है

रिपोर्टर- तो वो वहां काम कैसे कर रही हैं

जवाब- अरे भई कोई आदमी को कोई रिस्पांसिबिलिटी दी जा सकती है न कि देखो वहां क्या चल रहा है. कैसे कुछ चीजों को कंट्रोल की जा सकती है. कि कैसे कंसलटेंट के अकॉर्डिंग कास्ट कटिंग की जा सकती है. कोई जरुरी है क्या वहां पर अपाइंट करना? कोई अपाइंट करना जरुरी है?

रिपोर्टर- मतलब कोई भी बाहरी व्यक्ति को अस्पताल में चेंबर दिया जा सकता है, वो वहां पर बैठ सकता है

जवाब- यार आप सहारे से बात करो मेरे से मत बात करो. वो सपरिटेंडेट हैं उनसे बात करो. डोंट टॉक टू मी रिकार्डिंग दिस. टॉक टू हिम ठीक है.

रिपोर्टर- सुपरिटेंडेंट का कहना है कि उनका कोई अपाइंटमेंट नहीं हुआ है. उन्हें कोई अपाइंटमेंट लेटर नहीं मिला है.

जवाब- जो उनका कहना है वो उनका वर्जन लिख दीजिये.

इन सवालों के जवाब जानना जरुरी है

इस पूरी बातचीत के बाद कई सवाल उठने लगे हैं. सवाल यह है कि दीप्ती राज की नियुक्ति का एक राज क्यों है? जब अधीक्षक को उनके नियुक्ति की जानकारी नहीं है प्लेसमेंट एजेंसी को नहीं है, डायरेक्टर भी खुल कर कुछ नहीं कह रहे हैं तो फिर उनकी नियुक्ति किसने की? अगर उनकी नियुक्ति हुई है तो उसकी जानकारी अस्पताल के अधीक्षक को क्यों नहीं है? और उन्हें अस्पताल में चेंबर किसने आबंटित किया? जो कि डायरेक्टर और अधीक्षक के बाजू में मौजूद है.

इसके साथ ही सवाल यह भी है कि क्या इसकी जानकारी स्वास्थ्य विभाग को है? क्या नियुक्ति की अनुमति स्वास्थ्य मंत्री या स्वास्थ्य विभाग के आला अधिकारियों से लेकर की गई है. अगर नियुक्ति बगैर किसी प्रक्रिया के या किसी बाहरी एजेंसी के जरिये हुई है तो क्या इसकी अनुमति सरकार से ली गई है वो भी ऐसे समय में जब सरकार ने बिल्कुल साफ कर दिया है कि प्रदेश में अब आउट सोर्सिंग नहीं की जाएगी. अगर किसी विभाग में नियुक्ति की जाएगी तो इसकी अनुमति वित्त विभाग से ली जाएगी और नियुक्तिकर्ता या उस विभाग को बताना होगा कि नियुक्ति का औचित्य क्या है, नियुक्ति क्यों जरुरी है. फिलहाल इन सारे सवालों का जवाब अभी आना बाकी है जिसके बाद ही दीप्ती का राज क्या है इस पर पर्दा उठ पाएगा.