CG NEWS: प्रतीक चौहान.  रायपुर. डीकेएस सुपर स्पेशलिटी अस्पताल में लांडी कार्य के लिए निकाले गए टेंडर पर विवाद बड़ा हो गया है. 2 करोड़ के वार्षिक टर्नओवर और 5 करोड़ की नेटवर्थ की अनिवार्यता को बड़ी फर्मों को लाभ पहुंचाने एवं स्थानीय व्यवसायियों को बाहर करने की साजिश बताते हुए धोबी समाज और स्थानीय लांडी कर्मचारी संगठन ने टेंडर निरस्त करने की मांग उठाई है. डीकेएस अस्पताल प्रशासन द्वारा पिछले दिनों लांड्री कार्य के लिए टेंडर निकाला गया है. इसमें अस्पताल की समस्त बेडशीट, पीलो कवर, डॉक्टर्स यूनिफॉर्म, पेशेंट यूनिफॉर्म, स्टॉफ यूनिफॉर्म, टॉवेल, ब्लैंकेट, ओटी लिनेन सेट, गाउन्स, कर्टन्स, एप्रन, नर्सिंग यूनिफॉर्म समेत अन्य कपड़ों की धुलाई का कार्य किसी फर्म के माध्यम से कराया जाना है.

टेंडर जारी होने के बाद उसमें दी गई शर्तों को लेकर स्थानीय व्यवसायियों, धोबी समाज एवं लांड्री कर्मचारी संगठन ने आपत्ति उठाई है. उनका कहना है कि फर्म विशेष को लाभ पहुंचाने एवं स्थानीय व्यवसायियों को रोकने के लिए ऐसी शर्तें डाली हैं जो स्थानीय स्तर पर पूरा किया जाना मुश्किल है. प्रदेश धोबी समाज के प्रदेश महामंत्री हेमंत निर्मलकर ने डीकेएस अस्पताल प्रबंधन को पत्र लिखकर कहा है कि टेंडर में 2 करोड़ वार्षिक टर्नओवर तथा 5 करोड़ की नेटवर्थ की अनिवार्यता सेवा के वास्तविक स्वरूप की तुलना में अत्यधिक एवं असंगत है. इससे मध्यम एवं योग्य फर्मों को बाहर करने की साजिश है. रायपुर में कार्यालय होना अनिवार्य किया गया है जो भारतीय प्रतिस्पर्धा नियमों के विपरीत है. इसी तरह 18 लाख रुपए की परफार्मेस गारंटी भी अनुचित प्रतीत होती है. उपकरणों की स्थापना 15 दिनों के भीतर करना अनिवार्य है तथा निरीक्षण की प्रक्रिया को स्पष्ट परिभाषित नहीं करना अत्यंत अव्यवहारिक है. इसी तरह शहर धोबी समाज के अध्यक्ष एवं लांड्री कर्मचारी संघ के वरूण निर्मलकर ने कहा कि टेंडर की शर्तें बड़ी कंपनियों को ध्यान में रखकर रखी गई हैं. उन्होंने इसे लघु व्यवसायियों एवं स्व सहायता समूहों को बाहर करने की साजिश करार दिया है. उन्होंने मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर तत्काल टेंडर रद्द करने की मांग की है. साथ ही कहा है कि स्थानीय व्यवसायियों को रोकने का प्रयास करने पर कोर्ट का दरवाजा खटखटाने बाध्य होना पड़ेगा.