चंडीगढ़। पंजाब के नए मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी को राज्य का पहला दलित सीएम बनाया गया. अब दलित शब्द पर अनुसूचित जाति आयोग ने कड़ा रुख अपनाया है. आयोग के मुताबिक, अनुसूचित जाति के किसी भी व्यक्ति की पहचान के लिए ‘दलित’ शब्द के प्रयोग से परहेज करना होगा.

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बता दें कि मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी के लिए सोशल मीडिया, प्रिंट और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया में ‘दलित’ शब्द का इस्तेमाल होने पर संज्ञान लेते हुए पंजाब राज्य अनुसूचित जाति आयोग की अध्यक्ष तेजिंदर कौर ने मंगलवार को कड़ी आपत्ति जताई. उन्होंने नामकरण का प्रयोग न करने के निर्देश जारी किए.

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तेजिंदर कौर ने कहा कि भारत के संविधान या किसी कानून में ‘दलित’ नाम का उल्लेख नहीं है. उन्होंने कहा कि भारत सरकार के सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय ने सभी राज्य सरकारों और केंद्र शासित प्रदेशों के सभी मुख्य सचिवों को आदेश भेजा था, जिसमें कहा गया कि अनुसूचित जाति के लिए दलित शब्द का प्रयोग न करें.

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उन्होंने मध्यप्रदेश हाईकोर्ट के आदेश का हवाला देते हुए कहा कि ग्वालियर बेंच ने 15 जनवरी 2018 को डॉ मोहन लाल माहोर बनाम भारत संघ और अन्य के केस में एक फैसला दिया था. इसमें कहा गया कि केंद्र सरकार या राज्य सरकार और उसके अफसर व कर्मचारी अनुसूचित जातियों और जनजातियों के लिए दलित शब्द का प्रयोग करने से परहेज करें. यह भारत के संविधान और कानून में मौजूद नहीं है.

जाति आधारित नामों वाले गांवों, कस्बों के नाम बदलने की मांग

 

तेजिंदर कौर ने बताया कि इस साल 13 सितंबर को मुख्य सचिव विनी महाजन को पत्र भेजा था, जिसमें जाति आधारित नामों वाले गांवों, कस्बों और अन्य स्थानों को बदलने को कहा था. इसके अलावा साल 2017 में राज्य सरकार की तरफ से जारी निर्देशों के सख्ती से पालन करने को कहा गया है. इसमें कहा गया था कि सरकारी कामकाज में हरिजन और गिरिजन शब्द का प्रयोग न किया जाए.