NEW DELHI: स्ट्रोक यानी लकवे के मरीजों को बचाने के लिए भारत को विदेशी तकनीक पर निर्भर नहीं रहना पड़ेगा। एम्स दिल्ली ने स्ट्रोक के इलाज के क्षेत्र में ऐसा काम कर दिखाया है, जिसने देश की हेल्थ में भारतीय के लिए एक भरोसा पैदा किया है। AIIMS भारत में बने सबसे उन्नत ब्रेन स्टेंट ‘सुपरनोवा’ पर देश का पहला Clinical Trial सफल रहा है। जो ब्रेन स्ट्रोक से पीड़ित थे। इस ट्रायल में 32 patients शामिल किए गए थे, जिनकी उम्र 18 साल से लेकर 85 साल है। इसके जरिए स्ट्रोक से छुटकारा मिल गया। डॉक्टरों का दावा है कि इस देसी स्टेंट से मरीज के इलाज का खर्च कम आएगा। साथ ही तेजी से रिकवरी भी हो सकेगी।

AIIMS के न्यूरोइमेजिंग ओर इंटरवेंशनल न्यूरोरेडियोलॉजी विभाग के HOD डॉ. शैलेश बी. गायकवाड ने बताया कि ब्रेन स्ट्रोक के इलाज में देसी ब्रेन स्टेंट के लिए एक रिसर्च की गई। GRASSROOT (ग्रैविटी स्टेंट-रिट्रीवर सिस्टम फॉर रीपरफ्यूजन ऑफ लार्ज वेसल ऑक्लूजन स्ट्रोक ट्रायल) किया गया। एम्स नई दिल्ली इसका केंद्र रहा। जबकि, देश के 6 बड़े मेडिकल इंस्टिट्यूट में इसकी रिसर्च हुई। इनमें अहमदाबाद, कोलकता, हैदराबाद, पुडुचेरी शहर शामिल हैं। ट्रायल के नतीजे इंटरनैशनल जर्नल Journal of Neurointerventional Surgery में प्रकाशित हुए हैं।

एक्सपर्ट के अनुसार, भारत मे हर साल करीब 17 लाख लोग स्ट्रोक का शिकार होते हैं। कई मरीज समय पर इलाज न मिलने से अपंग हो जाते है या जान गंवा देते हैं। AIIMS की न्यूरोलॉजी विशेषज्ञ डॉ. दीप्ति विभा के अनुसार, यह तकनीक इलाज को तेज बनाएगी। एम्स साथ ही खर्च कम करेगी और ज्यादा मरीजों तक समय पर मदद पहुंचाएगी।

डॉक्टरों के मुताबिक यह तकनीक भारत में स्ट्रोक इलाज के लिए बेहद ही निर्णायक मोड़ रहेगा. यह उपलब्धि भारत को ग्लोबल मेडिकल रिसर्च मैप पर और मजबूत करेगी। अब हमारे पास अपनी तकनीक है, जो सुरक्षित और प्रभावी है। अब तक स्ट्रोक के गंभीर मामलों में इस्तेमाल होने वाले स्टेंट ज्यादातर विदेश से आते थे, जो महंगे भी होते थे। सुपरनोवा स्टेंट पूरी तरह भारत में विकसित किया गया है और इसे भारत की जनसंख्या को ध्यान में रखकर डिजाइन किया गया है। क्योंकि भारत में स्ट्रोक कम उम्र में होता है।

Follow the LALLURAM.COM MP channel on WhatsApp
https://whatsapp.com/channel/0029Va6fzuULSmbeNxuA9j0m