गौरव जैन, गौरेला-पेंड्रा-मरवाही। कभी-कभी सीमित संसाधनों में परिणाम बहुत लाजवाब मिल जाते हैं, जिसकी कल्पना भी नहीं की जा सकती है. ऐसा ही कुछ वाकया गौरेला पेंड्रा मरवाही के जिला अस्पताल में देखने को मिला. अस्पताल प्रबंधन से प्राप्त जानकारी अनुसार बीते 2 मई को जिले के बेदरचुवां गांव की 4 साल की बच्ची संस्कृति ने 5 रुपये का सिक्का निगल गई थी.

बच्ची की आहार नली में सिक्का फंसा

सिक्का निगलने और उसके बाद उल्टी की शिकायत के साथ एमरजेंसी में आनन फानन में भर्ती कराया गया था. डॉक्टरों ने तुरंत छाती का एक्स-रे किया, जिसके बाद x ray को देखने से मालूम हुआ कि बच्ची की आहार नली में सिक्का फंसा हुआ है. हालत बिगड़ने पर और बच्चे की जान को खतरा देखते हुए तुरंत सिम्स बिलासपुर रेफर करने की योजना बनाई गई थी.

कम संसाधन में डॉक्टर्स ने किया कमाल

बिलासपुर रेफर करने से शायद हालात और बिगड़ सकते थे और बच्ची की जान को भी नुकसान हो सकता था. इसके बाद जिला अस्पताल के डॉक्टरों ने कम संसाधन होने के बाद भी बच्ची की आहार नली से सिक्का निकालने का प्रयास किया. डॉक्टरों की टीम ने रिस्क लेते हुए और ऐसे प्रकरणों का अनुभव के आधार पर फोलीज कैथेटर के माध्यम से ऐसे आहार नली में फंसे हुए सिक्के को निकाला जा सकता है.

सिक्का निकालने में सफलता

आखिर कार बच्चे को ऑपरेशन थियेटर में सतत निगरानी करते हुए साधारण फोलीज कैथेटर की मदद से 5 रुपये का सिक्का निकालने में सफलता हासिल हुई. उस नन्ही सी जान को बचाया गया. बच्चे को बिलासपुर भी जाने की जरूरत नहीं पड़ी, जो कि एक रिस्क भरा सफर हो सकता था.

धरती के ‘भगवानों’ ने दी नई जिंदगी

फिलहाल बच्ची खतरे से बाहर है और पूरी तरह से स्वस्थ्य है. उसे जिला अस्पताल से डिस्चार्ज कर दिया गया है. जिला अस्पताल के सिविल सर्जन भगवती चंद्रा, शिशु रोग विशेषज्ञ डॉ भरत भूषण त्रिपाठी के मार्गदर्शन में डॉ विपिन डॉ ओशिन,डॉ नेहा और डॉ पुष्पा और स्टाफ की सूझबूझ से बच्ची के प्राण बचाने में कामयाब रहे.

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