शब्बीर अहमद, भोपाल। मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में कुत्तों का आतंक जारी है। शहर में डेढ़ घंटे में 21 लोगों को काटा है। इतना ही नहीं आवारा कुत्ते ने 7 से 8 दूसरे कुत्तों को भी काटा है। जेपी अस्पताल में इंजेक्शन लगवाने के लिए लंबी कतार लग गई। हॉस्पिटल में रखे एंटी रेबीज इंजेक्शन कम पड़ गए। रात को ही फॉर्मेसी काउंटर खुलवाकर एंटी रेबीज इंजेक्शन लाने पड़े।

नसबंदी के आंकड़े

9 साल मे नसबंदी पर करीब 11 करोड़ खर्च हुए। कुत्तों के नसबंदी के दावे के बीच संख्या कई गुना बढ़ी है। 35 हजार से डेढ़ लाख के करीब पहुंच गई है। नगर निगम के आंकड़े बताते हैं हर महीने 900 कुत्तों की नसबंदी होती है। एक नसबंदी पर 945 रुपए का खर्च आता है।

MP में आवारा कुत्तों का आतंक: इस शहर में महज डेढ़ घंटे में 21 लोगों को बनाया शिकार, 24 घंटे में 154 लोग जख्मी

नगर निगम के प्रयास विफल

2019 में 25 पिंजरे रखवाए गए थे, इसमें करीब 50 ऐसे आवारा कुत्ते, जो किसी कारण से आक्रामक हो गए हैं उन्हें रखने की व्यवस्था की गई थी, लेकिन कुछ दिन बाद पिंजरे गायब हो गए। 2019 में शहर के सभी वार्डों में आवारा कुत्तों के लिए फीडिंग सेंटर बनाने निर्देश दिए थे। ये सेंटर निगम को बनाने थे, लेकिन नहीं बने। 2017 में शहर में कुत्तों के लिए 4 शेल्टर होम बनाने प्रस्ताव पारित किया था। जमीन आवंटन के लिए फाइल प्रशासन को भेजी, लेकिन आवंटन नहीं हुआ।

वैक्सीनेशन पर हर साल एक करोड़ का खर्च

शहर में हर साल करीब एक करोड़ रुपए के रेबीज इंजेक्शन लगाए जाते हैं। हमीदिया अस्पताल में हर साल डॉग बाइट के 6,000 मामले पहुंचते हैं। प्रत्येक मरीज को रेबीज के दो इंजेक्शन लगते हैं। एक इंजेक्शन की कीमत 400 रुपए मानें तो प्रति साल 11,520 डोज के लिए 46 लाख रुपए खर्च होते हैं। लगभग इतने ही इंजेक्शन हर साल जेपी अस्पताल में भी लगाए जाते हैं। वहीं निजी अस्पतालों में भी रेबीज के इंजेक्शन लगाए जाते हैं।

शहडोल में फिर हैवानियत: दो माह की मासूम को अगरबत्ती से 7 बार दागा, हालत गंभीर, मां व नानी पर FIR दर्ज

एडिशनल कमिश्नर ने कही यह बात

एडिशनल कमिश्नर रणबीर कुमार सिंह ने डॉग बाइट की बढ़ती घटना को लेकर कहा कि हमारी तरफ से लगातार प्रयास किया जा रहा है। आवारा कुत्तों से निपटने का वैक्सीनेशन ही एक तरीका है और वैक्सीनेशन किया जा रहा है। हमने आवारा कुत्तों को लेकर जो सेंटर बनाये है उसमें बढ़ोतरी की गई।

उन्होंने बताया कि स्टेरलाइजेशन पहले जो सिर्फ एक था, अब तीन किए गए। आवारा कुत्ते तभी हमला करते हैं, जब उनका खाना नहीं मिलता है। कानूनी इजाजत नहीं देता कि हम और कहीं स्थानांतरित करें। हम सिर्फ जनसंख्या पर कंट्रोल करने का प्रयास कर सकते हैं।

Read more- Health Ministry Deploys an Expert Team to Kerala to Take Stock of Zika Virus