Dol Gyaras 2024 : श्रीकृष्ण जन्माष्टमी के बाद आने वाली एकादशी को डोल ग्यारस कहा जाता है. माता यशोदा ने श्रीकृष्ण के जन्म के अठारहवें दिन उनकी जल घट पूजा की थी. इस दिन को ‘डोल ग्यारस’ के रूप में मनाया जाता है. जलवा पूजा के बाद ही अनुष्ठान शुरू होते हैं. कुछ जगहों पर इसे सूरज पूजा कहा जाता है तो कुछ जगहों पर इसे दश्तन पूजा कहा जाता है. जलवा पूजा को कुआं पूजा भी कहा जाता है. यह ग्यारासन परिवर्तिनी एकादशी, जलजुला एकादशी, वामन एकादशी के समान है.
आपको बता दें कि चातुर्मास के दौरान भगवान विष्णु क्षीर सागर में योग निद्रा में चले जाते हैं. इस दौरान भगवान शिव को सृष्टि के संचालन का कार्य सौंपा गया है. इन 4 महीनों में लगभग 8 एकादशियां आती हैं और प्रत्येक एकादशियों का विशेष महत्व होता है. जहां तक डोल ग्यारस की बात है तो इस दौरान भगवान विष्णु अपना करवट बदलते हैं. इसी कारण से इसे परिवर्तिनी एकादशी कहा जाता है.
डोल ग्यारस का महत्व (Dol Gyaras 2024)
‘डोल ग्यारस’ के अवसर पर कृष्ण मंदिरों में पूजा-अर्चना की जाती है. भगवान कृष्ण की मूर्ति को ‘डोला’ (रथ) में रखकर जुलूस निकाला जाता है. इस अवसर पर कई गांवों और कस्बों में मेले, जुलूस और सांस्कृतिक कार्यक्रम भी आयोजित किये जाते हैं. इसके साथ ही डोल ग्यारस पर भगवान राधा-कृष्ण के कई सुंदर विद्युत सजे रथ निकाले जाते हैं.
एकादशी 2024 कब है?
हिंदू कैलेंडर के अनुसार, इस वर्ष भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि 13 सितंबर, शुक्रवार को रात 10.30 बजे से शुरू हो रही है, जो 14 सितंबर, शनिवार को रात 8.41 बजे समाप्त होगी. उदयातिथि के अनुसार परिवर्तिनी एकादशी व्रत 14 सितंबर शनिवार को रखा जाएगा.
एकादशी 2024 शुभ मुहूर्त
हिंदू पंचांग के अनुसार भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि 14 सितंबर 2024 को रात 08:41 बजे रहेगी. ऐसे में परिवर्तिनी एकादशी पर भगवान विष्णु की पूजा करें का मुहूर्त सुबह 07:38 से सुबह 09:11 तक रहेगा.
एकादशी पर शुभ योग बन रहा है
इस साल भाद्रपद मास की आखिरी एकादशी पर कई शुभ योग बन रहे हैं. ऐसे में भगवान विष्णु की पूजा और व्रत रखने से कई गुना फल मिल सकता है. इस दिन उत्तराषाढ़ा नक्षत्र के साथ रवि और शोभन योग बन रहा है. इस दिन सुबह से शाम 6 बजकर 18 मिनट तक शोभन योग है. साथ ही रवि योग सुबह 06:06 से 08:32 तक है. इसके अलावा उत्तराषाढ़ नक्षत्र सूर्योदय से रात 8.32 बजे तक है.
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