रायपुर। कठिनाइयों से कभी न घबराएं, हौसला बनाए रखें। जो हौसले के साथ कार्य करता है, उसे लक्ष्य की अवश्य प्राप्ति होती है। समय के अनुरूप परिवर्तन के लिए तैयार रहें और कड़ी मेहनत करें, भले ही इसके लिए अपने सुखों का त्याग करना पड़े। यह बात राज्यपाल अनुसुईया उइके ने सोमवार को आईएसबीएम विश्वविद्यालय के प्रथम दीक्षांत समारोह में कही. समारोह में विद्यार्थियों को स्वर्ण पदक और उपाधि प्रदान किए गए।

समारोह में वर्चुअल रूप से शामिल हुईं राज्यपाल उइके ने कहा कि प्रकृति ने जो संसाधन दिए हैं उसका उतना ही उपयोग करें, जितनी आवश्यकता हो। अपने माता-पिता और गुरूजनों का सम्मान करें। आप जब अपने पैरों पर खड़े हो जाएं तो आने वाली पीढ़ियों का मार्गदर्शन करें और उनकी मदद करें। उन्होंने कहा कि जो सकारात्मक दृष्टिकोण रखता है वह जीवन में अवश्य सफल होता है। किताबी ज्ञान के साथ-साथ व्यावहारिक ज्ञान भी बहुत आवश्यक है।

राज्यपाल ने कहा कि मैं गरियाबंद जिले के सुपेबेड़ा गांव गई थी और वहां की समस्याओं को सुनकर उनका समाधान किया था। उन्होंने विश्वविद्यालय प्रशासन से कहा कि सुपेबेड़ा जैसे दूरदराज के गांव का भ्रमण करें, विद्यार्थियों को ले जाएं और उन गांवों को विश्वविद्यालय गोद लेकर उनकी समस्याओं के निराकरण करने में मदद करें।

उन्होंने कहा कि इस प्रथम दीक्षांत समारोह में शामिल विद्यार्थीगण आदिवासी बहुल गरियाबंद जिले के सुदूर क्षेत्र के सर्वांगीण विकास में मील के पत्थर साबित होंगे। वे विश्वविद्यालय से प्राप्त शिक्षा-दीक्षा के माध्यम से समाज, प्रदेश और देश को अपने ज्ञान, संस्कार तथा कौशल के प्रयोग से निश्चय ही एक नया आयाम देंगे। आज शिक्षा के प्रचार-प्रसार की आवश्यकता पिछड़े क्षेत्रों को अधिक है। यह गरियाबंद क्षेत्र के लिए प्रसन्नता की बात है, कि आईएसबीएम विश्वविद्यालय शहर की अपेक्षा एक अत्यन्त पिछड़े हुए सुविधा विहिन ग्रामीण क्षेत्र में स्थापित किया गया है।

इस कार्यक्रम में पद्मश्री डॉ. एटी दाबके और छत्तीसगढ़ निजी विश्वविद्यालय विनियामक आयोग के अध्यक्ष डॉ. शिववरण शुक्ल ने भी अपना संबोधन दिया। इस अवसर पर उच्च शिक्षा मंत्री उमेश पटेल, कुलाधिपति विनय अग्रवाल, प्रति कुलपति आनंद महलवार, प्राध्यापकगण एवं विद्यार्थीगण उपस्थित थे।