प्रतीक चौहान. रायपुर. राज्य शासन के चिकित्सा शिक्षा विभाग ने डॉ. कमलेश जैन सह प्राध्यापक (संविदा) शासकीय चिकित्सा महाविद्यालय रायपुर को आबंटित समस्त प्रभार और संलग्नीकरण समाप्त कर दिया है. इस आशय का आदेश 4 जुलाई को उपसचिव लविना पाण्डेय के हस्ताक्षर से जारी हुआ. जारी आदेश में डॉ. जैन जो मेडिकल कॉलेज में संविदा में पदस्थ थे, लेकिन सालों से उन्हें संचालनालय स्वास्थ्य सेवाएं नवा रायपुर में प्रभार देकर कार्य लिया जा रहा था, यह कार्य अब वापस ले लिया है.

दरअसल डॉ. जैन लंबे समय से विवादों में घिरे रहे. खासकर मुक्तांजलि एंबुलेंस योजना के नाम पर फर्जी बिल लगाकर हर महीने करोड़ों रुपए गबन किए जाने का आरोप लगा था. जिसकी शिकायत विश्व हिन्दू परिषद, बजरंग दल ने गत 28 मई 2025 को मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय से की थी. शिकायत के बाद स्वास्थ्य मंत्री श्याम बिहारी जायसवाल ने जांच के आदेश दिए थे. जो शिकायत की गई थी, उसमें बताया गया था कि स्वास्थ्य के विभाग सरकारी अस्पतालों में मरीजों की मौत के बाद उनकी लाशों को ही कमाई का बना जरिया लिया था. 50 प्रतिशत से ज्यादा फर्जी विल लगाकर सरकार को करोड़ों को चूना लगा रहे थे.

डॉ. कमलेश जैन, संविदा नियुक्ति सहायक प्राध्यापक

मालूम हो कि डॉ. कमलेश जैन की सह प्राध्यापक (संविदा) पद पर नियुक्ति गत फरवरी 2024 में की गई थी. उनके नियुक्ति आदेश में लिखा है कि जब तक सहप्राध्यापक की नियुक्ति नहीं हो जाती है, तब तक एक वर्ष तक उनकी सेवा संविदा पर ली जाएगी. शिकायत में यह भी बताया गया था कि चिकित्सा महाविद्यालय में सह प्राध्यापक के 3 पद स्वीकृत हैं और तीनों पद पर नियमित सह-प्राध्यापक कार्यरत हैं. इसके बावजूद मार्च 2025 को डॉ. जैन को पुनः नियुक्ति दी गई. जानकार सूत्रों का कहना है कि चूंकि विधानसभा के मानसून सत्र में एंबुलेंस योजना को लेकर सवाल लगाए गए हैं. लिहाजा सत्र के पहले ही उनकी स्वास्थ्य सेवाओं में दिए गए सभी प्रभार व संलग्नीकरण को समाप्त करने की कार्रवाई की गई है.