रायपुर-  मुख्यमंत्री डा.रमन सिंह और वीणा सिंह की आज शादी की 38वीं साल गिरह है। हालांकि हर साल सीएम बंगले में बधाई देते वालों का तांता लगा रहता है, लेकिन इस बार बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह के दौरे की वजह से डा.रमन सिंह व्यस्त रहे, लेकिन जैसे ही एय़रपोर्ट पर अमित शाह को बिदाई दी, वे सीधे सीएम हाउस की ओर रवाना हो गए। इससे पहले लल्लूराम.काम ने उनसे शादी की 38 वीं वर्षगांठ के मौके पर पूछ ही लिया –  सीएम साहब खुशमिजाज पति के तौर पर नजर आते हैं, आखिर इसका राज क्या है? हंसते हुए डा.रमन सिंह भी तपाक से बोले-38 साल हो गए हैं। अच्छा निकल गया और क्या चाहिए। ये भगवान का उपकार है। डा.रमन सिंह ने सफल वैवाहिक जीवन के टिप्स भी दे दिए और कहा कि दिमाग को शांत रखो। घर में शांति का वातावरण बना रहेगा। यही सफल शादी का सबसे बड़ा फार्मूला है।

शादी के बाद बदली थी रमन की किस्मत

मुख्यमंत्री डा.रमन सिंह ने  1980-81 में बुढ़ार ( शहडोल) की रहने वाली वीणा सिंह से शादी रचाई थी। उस दौर के लोग ही इस बात को जानते हैं कि सूबे के मुखिया ने,  जिनके काफिले में आज एक दर्जन से ज्यादा गाड़ियां चलती है, अपनी शादी की बारात मध्यप्रदेश राज्य परिवहन निगम की बस में निकाली थी। हालांकि बस के साथ आधा दर्जन गाड़ियां भी गई थी, लेकिन यारो के यार डॉ रमन सिंह ने बस में अपने दोस्तों के साथ जाना तय किया था। कहते है डॉ. रमन सिंह की किस्मत ने उनकी शादी के बाद ही करवट ली। शादी के बाद उन्होंने राजनीति में दिन दोगुनी रात चौगुनी तरक्की की। 1983-84 में वे पार्षद बने। कांग्रेस के मजबूत गढ़ माने जाने वाले निकाय में उस वक़्त बीजेपी के केवल दो ही पार्षद थे, जिनमे से एक रमन सिंह का नाम था। पार्षद बनकर डॉ. रमन सिंह की सक्रिय राजनीति तेज हुई। लोकप्रियता का ग्राफ भी तेजी से बढ़ा। इस बीच डॉ रमन सिंह अभिषेक सिंह और अस्मिता सिंह के पिता भी बन गए। साल 1990 में डॉ. रमन सिंह ने पहला विधानसभा चुनाव लड़ा और अपने पहले ही चुनाव में रमन ने बड़ी जीत दर्ज की। 1993 में डॉ. रमन सिंह ने एक बाद फिर विधानसभा चुनाव जीता, लेकिन 1998 के चुनाव में उन्हें हार का सामना करना पड़ा था। अगले ही साल लोकसभा चुनाव में मोतीलाल वोरा जैसे दिग्गज कांग्रेसी नेता को हराकर ना केवल चुनाव जीता बल्कि अटल बिहारी बाजपेयी की सरकार में मंत्री भी बनाये गए। हालांकि बाद में बड़ा रिस्क उठाते हुए डॉ. रमन सिंह ने मंत्री पद से इस्तीफा दे दिया और प्रदेश भाजपा के अध्यक्ष बन गए। 2003 का चुनाव डॉ. रमन सिंह की अगुवाई में ही लड़ा गया और बीजेपी की प्रदेश में सरकार बनी। डॉ. रमन सिंह मुख्यमंत्री बनाये गए। तब से लेकर आज तक लगातार छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री बने हुए हैं। मुख्यमंत्री इसका श्रेय अपनी धर्मपत्नी वीणा सिंह को देते हैं। वो कहते हैं-वीणा सिंह के साथ और समर्पण के बगैर ये मुमकिन ना था।