हकीमुद्दीन नासिर, महासमुंद। वैश्विक महामारी कोरोना ने हजारों बच्चों के सिर से मां-बाप का साया छीन लिया. कई परिवार सड़क पर आ गए, तो कोई एक-एक दाने का मोहताज हो गए. महासमुंद जिले में भी सैकड़ों बच्चो के सिर से माता-पिता का साया उठ गया. इन्हीं बच्चों को नि:शुल्क शिक्षा प्रदान करने की जिम्मेदारी प्रदेश सरकार ने महतारी दुलार योजना के तहत उठाई है, लेकिन जिले में जिम्मेदारों की नाकमी की वजह से सरकारी योजनाएं जमीन पर धूल चाट रही हैं.
दरअसल, प्रदेश सरकार ने अनाथ बच्चों को शासकीय और अशसाकीय स्कूलों में नि:शुल्क शिक्षा प्रदान करने के लिए महतारी दुलार योजना का शुभारंभ किया है, लेकिन कुछ निजी स्कूल प्रबंधन की मनमानी के कारण बच्चों को नि: शुल्क शिक्षा का लाभ नहीं मिल पा रहा है. महासमुंद में कोरोना से 366 लोगों की मौत हुई है, जिसमें कई बच्चे अनाथ हो गए हैं और कई माताओं के आंचल सूने हो गए हैं, लेकिन प्राइवटे स्कूल मोटी रकम वसूलने में लगा है.
ताजा मामला ड्रीम इंडिया स्कूल से सामने आया है. जहां ऐसे 4 बच्चे पढ़ते हैं, जिनमें से दो बच्चों के परिजन से 23 हजार , 20 हजार रुपये फीस जमा कराई गई और दो बच्चों के परिजन से 8 हजार और 7 हजार रुपये जमा करा लिया गया. प्रबंधन ने कहा कि शासन से अभी कोई स्पष्ट आदेश हमें नहीं मिला है.
निजी स्कूल के प्रबंधन ऐसे बच्चों के अभिभावकों से शासन का कोई पत्र नहीं आने का हवाला देते हुए मोटी रकम वसूल रहे हैं. जब मीडिया के संज्ञान में ये बात आई तो निजी स्कूल प्रबंधन ने पैसे वापस करने की रट लगाया हुआ है. वहीं प्रभारी जिला शिक्षा अधिकारी रटारटाया राग अलापते हुए नोटिस देने की बात कह रहे हैं.
जिले के प्रभारी शिक्षा अधिकारी ने बताया कि जिले मे ऐसे 125 बच्चों की सूची तैयार की गई है, जिनके माता और पिता की मौत कोरोना से हुई है. उन्हें शासकीय और अशासकीय स्कूलों में नि:शुल्क शिक्षा मिलेगी. 125 बच्चों में से 63 बच्चों को शासकीय स्कूल में और 62 बच्चों को निजी स्कूलों में दाखिला मिला है. मीडिया के माध्यम से ये जानकारी मिल रही है, तो स्कूल को नोटिस जारी कर उचित कार्रवाई की जाएगी.
बता दें कि राज्य शासन ने “महतारी दुलार योजना” की शुरुआत की है. महतारी दुलार योजना के संदर्भ में राज्य शासन ने 22 मई 2021 को अधिसूचना जारी किया. अधिसूचना के 5 वें बिन्दु के 4 नबंर पर स्पष्ट उल्लेख किया है. कोरोना से जिनके कमाने वाले माता और पिता की मृत्यु हो गई है. उन्हें नि:शुल्क शिक्षा दिया जाएगा. उसके बावजूद भी निजी स्कूल प्रबंधन ऐसे बच्चो के परिजनों से फीस वसूल रहे हैं.
गौरतलब है कि शासन के आदेश के बावजूद निजी स्कूल फीस वसूल रहे हैं. निजी स्कूलों की मनमानी से अनाथ बच्चे परेशान हैं. अब देखना होगा कि मामला शिक्षा विभाग के आला अधिकारी के संज्ञान में आने के बाद आखिर क्या कार्रवाई होती है, जिसका इंतजार सभी को है.
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