संंदीप शर्मा, विदिशा। 3 महीन के बच्चे की मौत मामले (3 month old baby death case) में सिरोंज के बासौदा नाका स्थित फर्जी (झोला छाप) डॉक्टर (Fake doctor)  की क्लीनिक सील होने के 20 दिन बाद विदिशा के ड्रग इंस्पेटर मौके पर पहुंचे। बीएमओ के साथ इस क्लीनिक पर पहुंचे ड्रग इंस्पेक्टर ने 3 घंटे तक रूक कर यहां इस्तेमाल की जा रही दवाईयों की जांच की। 3 महीन के बच्चे की मौत के बाद 13 अक्टूबर को सिरोंज अस्पताल की टीम भी बीएमओ अभिषेक उपाध्याय के नेतृत्व में बासौदा नाका स्थित कथित डाक्टर विनोद दुबे की क्लीनिक की जांच करने के लिए पहुंची थी। यहां डॉक्टर क्लीनिक के साथ ही उसके ऊपरी हिस्से में स्थित कमरों में नर्सिंग होम का संचालन कर रहा है। जांच के दौरान डाक्टर के यहां से कई तरह की प्रतिबंधात्मक दवाइयां जब्त की थी।

स्वास्थ्य विभाग (health Department) की टीम ने इन पंचनामा बना कर इन सभी दवाइयों का जब्त कर कमरा सील कर दिया था। इसके 20 दिन बाद कमरा सोमवार को ड्रग इंस्पेक्टर की मौजूदगी में खोला गया।

बीएमओ अभिषेक उपाध्याय के साथ क्लीनिक पर पहुंचे ड्रग इंस्पेक्टर संजीव जादौन ने कथित डाक्टर की मौजूदगी में करीब 2 घंटे रूक कर जांच की। क्लीनिक के सामने स्थित मेडीकल स्टोर की जांच भी इस दौरान टीम ने की। इस दौरान उन्होंने कई तरह की दवाइयां जब्त की और उसे अपने साथ ले गए। जांच के बाद बीएमओ ने क्लीनिक को फिर सील कर दिया है।

क्लीनिक सील होने के बाद भी फर्जी डॉक्टर अभी भी कर रहा मरीजों का इलाज
कथित डॉक्टर की क्लीनिक पर जो बोर्ड लगा है। उस पर न्यूरोलाजिस्ट (neurologist) धनंजय मिश्रा का नाम लिखा हुआ है। न्यूरोलाजिस्ट मानसिक बीमारियों का इलाज करने का विशेषज्ञ होता है। वहीं क्लीनिक पर कथित डॉक्टर सर्दी, खांसी, जुकाम, बुखार, सेक्स रोग, महिला रोग और गुप्त रोग आदि समस्त बीमारियों का बेखौफ होकर इलाज कर रहा है। क्लीनिक के सील होने के बाद वह हाजीपुर में स्थित मेडीकल स्टोर पर बैठ कर मरीजों को देख रहा है। सवाल यह है कि यह है कि जिस डॉक्टर पर बच्चे की मौत को लेकर प्रकरण दर्ज हुआ है। वह अभी भी इलाज कैसे कर रहा है। 20 दिन बाद भी मामले को लेकर स्वास्थ्य विभाग सिर्फ जांच की बात ही कह रहा है।

इन दवाइयों का इस्तेमाल कर रहा था फर्जी डॉक्टर 

मौके पर तैयार किए गए पंचनामे के अनुसार क्लीनिक पर लिंगोसाइक्लिन इंजेक्शन, डेक्सामैथासोन, एमिकासिन इंजेक्शन, सिल्डएनाफिल सिट्रेक्ट, सैफट्रिक जोन, सालवेक्टम इंजेक्शन, स्टीराइड, गर्भ निरोधक गोलियां आदि दवाइयों का इस्तेमाल डॉक्टर कर रहा है। जबकि इन दवाइयों का विशेषज्ञ डॉक्टर ही इस्तेमाल कर सकते हैं।

जानिए क्या है पूरा मामला
बासौदा नाका पर डॉक्टर विनोद दुबे की क्लीनिक पर 12 अक्टूबर को क्षेत्र के आंधारेला गांव में रहने वाले रामकृष्ण अहिरवार अपने 3 महीने के बेटे का इलाज करवाने पहुंचे थे। यहां पर डॉक्टर ने बच्चे का इलाज कर इंजेक्शन और लगा कर वापस गांव भेज दिया था। जब वह गांव वापस लौट रहा था, इसी दौरान रास्ते में बच्चे की मौत हो गई थी। मामले की शिकायत उसने डायल 100 की। इसके बाद 13 अक्टूबर को बच्चे के शव का पीएम सिरोंज अस्पताल में हुआ था। इसके बाद मामले में मुगलसराय पुलिस ने फर्जी डॉक्टर विनोद दुबे और उसके यहां काम करने वाले नर्स के खिलाफ मामला दर्ज किया था। इसके बाद मामले की जांच चल रही है।