रायपुर। इंसान की मजबूरी उससे क्या से क्या करवा सकती है, इसका नज़ारा देखने को मिला रायपुर में, जहां जिला/जनपद पंचायत के अन्तर्गत कार्यरत शिक्षाकर्मियों को दिसंबर महीने से वेतन नहीं मिल रहा है. दिसंबर-जनवरी बीत चुका है और अब फरवरी शुरू हो चुका है. ऐसे में घर चलाने के लिए शिक्षाकर्मियों के सामने संकट पैदा हो गया है.

ऐसी ही हालत है रायपुर जिले में कार्यरत नवीन शिक्षाकर्मी संघ महिला अध्यक्ष गंगा शरण पासी का, जिनके परिवार का गुजारा वेतन नहीं मिलने से मुश्किल में पड़ गया है. घर की माली हालत को संभालने के लिए अब वे चना-बूट बेच रही हैं. उनका कहना है कि परिवार के भरण-पोषण, बच्चों के इलाज, ईंधन, राशन और दूसरी जरूरतों के लिए उन्हें चना-बूट बेचने को मजबूर होना पड़ा है.

शिक्षाकर्मियों के सामने रोजी-रोटी का संकट

शिक्षाकर्मियों का कहना है कि अगर उन्हें सैलरी नहीं मिली, तो उनके सामने रोजी-रोटी का संकट खड़ा हो जाएगा. उनका कहना है कि घर के लिए राशन-पानी से लेकर बच्चों की फीस और दैनिक वस्तुएं तक वे नहीं खरीद पा रहे हैं. उनकी आर्थिक हालत बिगड़ चुकी है. जिसके कारण वे मानसिक रूप से भी प्रताड़ित हो रहे हैं. यहां तक कि कई शिक्षाकर्मी तो दूसरे काम करने के लिए अपने अधिकारियों को छुट्टी का आवेदन भी दे रखा है.

शिक्षक पंचायत नगरीय निकाय मोर्चा के प्रदेश संचालक विकास सिंह राजपूत ने कहा कि मुख्यमंत्री के निर्देश के अनुसार 5 तारीख तक प्रदेश में कार्यरत शिक्षाकर्मियों को किसी भी हालात में वेतन भुगतान कर दिया जाना है, लेकिन इस आदेश पर आज तक अमल नहीं हो पा रहा है, जो बहुत ही दुर्भाग्यपूर्ण है.

उन्होंने कहा कि कुछ दिनों पहले मुख्य सचिव ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से सभी जिला पंचायत सीईओ को किसी भी हालात में किसी भी मद से शिक्षाकर्मियों को अनिवार्य रूप से फरवरी के पहले सप्ताह तक वेतन का भुगतान करने का निर्देश जारी किया है, लेकिन इस निर्देश का भी कोई प्रभाव पड़ता दिखाई दे रहा है, क्योंकि अधिकतर जिला पंचायत में वेतन भुगतान के लिए राशि ही नहीं है. वेतन नहीं मिलने से प्रदेश के शिक्षाकर्मी मजबूरीवश अपने परिवार के भरण पोषण और बच्चों के इलाज के लिए दूसरे काम करने के लिए मजबूर हो रहे हैं.