आजाद सक्सेना, दंतेवाड़ा। छत्तीसगढ़ के कई इलाके आज ऐसे हैं, जो अपनी बेबसी और बदनसीबी पर रो रहे हैं. अपनी किस्मत पर आंसू बहा रहे हैं. ऐसी एक तस्वीर कुआकोंडा इलाके से आई है, जहां मरने के बाद भी शव को लेने जाने के लिए एंबुलेंस नहीं मिली. मानवीयता को झकझोर देने वाली तस्वीर उल्टी खाट पर रेंगानार गांव में दिखी, जहां बेबस कंधों पर लाश नहीं सिस्टम का जनाजा दिखा.

दरअसल, महिला बुखार से पीड़ित थी, जिसको इलाज के लिए कुआकोंडा अस्पताल में भर्ती कराया गया था, जहां इलाज के बाद पास के गांव में रिश्तेदार के घर पर ले आए थे. रिश्तेदार के यहां की महिला ने दम तोड़ दिया. डेथ के बाद परिवार ने कंधों पर लाश लेकर गांव के लिए निकल पड़ा.

बेबस परिवार फिर उल्टी खाट पर बुजुर्ग महिला का शव को कंधों पर लेकर रेंगानार से टिकनपाल के लिए जा रहा था. परिवार के मुताबिक शव को गाड़ी से ले जाने के लिए उनके पास पैसे नहीं थे. शव वाहन भी नहीं मिला. अब आप समझिए की दंतेवाड़ा जैसे जिले में गरीब आदिवासी अपने परिजनों की मौत के बाद मीलों सफ़र उल्टी खाट पर क्यों तय करते हैं.

टिकनपाल गांव की रहने वाली मृतक महिला जोगी पोडियाम का यह शव है. इस शव को ले जाने वाले परिजन करीब 10 किलोमीटर सडक़ के रास्ते शव लेकर चलते रहे. सैंकड़ों जागरुक नागरिक निकले, उन्होंने भी मदद करने की कोशिश नहीं की. ये लोग एक फोन करते और स्वास्थ्य विभाग को सूचित करते कि शव वाहन की व्यवस्था की जाए, लेकिन लोग देख कर निकलते रहे.

इसी बीच कुआकोंडा पुलिस को जानकारी मिली. कुआकोंडा पुलिस मौके पर पहुंची. इतना ही नही थाना प्रभारी चंदन कुमार भी मौके पर पहुंच गए. जवानों और खुद टीआई ने पिकअप पर शव को रखवाया. साथ ही कुछ जवानों को घर तक शव के साथ भेजा.

पुलिस मानवीयता से शव तो घर तक पहुंचाने में मदद की. परिजनों को 10KM पैदल चलने का दर्द भी कम हो गया. रेंगानार से करीब टिकन पंचायत 25 किमी दूर है. बड़ा सवाल यह है कि सरकारें तमाम दावे करती हैं कि आदिवासी बाहुल्य क्षेत्र में तमाम योजनाओं का सीधा लाभ मिल रहा है.

प्रशासनिक अधिकारी इन योजनाओं को जमीन पर उतारने के लिए पसीना बहा रहे हैं. मानव जीवन की अहम कड़ी स्वास्थ्य विभाग का ये हाल है. सही मायने में ये योजनाओं की उल्टी खाट पर शव है. आदिवासी इलाकों में यह तक पता नहीं कि उनको सरकार ने मुफ्त शव वाहन की भी व्यवस्था की है. यह तस्वीर बताती है कि योजना जमीन पर नहीं उतरी है, जब लोगों को जानकारी ही नहीं है.

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