रायपुर। पितरों का आशीर्वाद और उनकी नाराजगी व्यक्ति के जीवन को प्रभावित कर सकती हैं. पितृ बाधा का मतलब यह होता है कि आपके पूर्वज आपसे कुछ अपेक्षा रखते हैं या आप कुछ ऐसा कर्म कर रहे हैं जिसके चलते वे रुष्ठ हैं।
आपसे पुत्र और पुत्री की अपेक्षा है जिसके चलते पितृ और मात्र ऋण उतरता है जिसे आप पूरा करने में सक्षम नहीं है। पूर्वजों के कारण वंशजों को किसी प्रकार का कष्ट ही पितृदोष माना गया है। पितृलोक में स्थान प्राप्त करने वाले हर वर्ष श्राद्ध पक्ष में अपने वंशजों को देखने आते हैं और उस वक्त वे उन्हें आशीर्वाद देते या श्राप देकर चले जाते हैं। आओ जानते हैं कि पितृ नाराज होते हैं तो क्या होता है?
- हर काम में रुकावट आना : ऐसी मान्यता है कि यदि आप जो भी कार्य कर रहे हैं, उसमें रुकावट आ रही है और कोई भी कार्य संपन्न नहीं होता है तो इसे पितरों के नाराज होने या पितृदोष का लक्षण माना जाता है।
- गृहकलह रहना : घर में थोड़ी-बहुत खटपट तो चलती रहती है लेकिन यदि रोज ही गृहकलह हो रही है तो यह समझा जाता है कि पितृ आपसे नाराज हैं।
- संतान में बाधा : ऐसी मान्यता है कि पितृ नाराज रहते हैं तो संतान पैदा होने में बाधा आती है। यदि संतान हुई है तो वह आपकी घोर विरोधी रहेगी। आप हमेशा उससे दु:खी रहेंगे।
- विवाह बाधा : ऐसी मान्यता है कि पितरों के नाराज रहने के कारण घर की किसी संतान का विवाह नहीं होता है और यदि हो भी जाए तो वैवाहिक जीवन अस्थिर रहता है।
5. आकस्मिक नुकसान : ऐसी मान्यता है कि यदि पितृ नाराज हैं तो आप जीवन में किसी आकस्मिक नुकसान या दुर्घटना के शिकार हो जाते हैं। आपका रुपया जेलखाने या दवाखाने में ही बर्बाद हो जाता है।
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