कुशीनगर. हर विभागों में अब आउटसोर्सिंग सिस्टम से ही काम कराया जा रहा है, जिसके चलते बेरोजगार युवा नौकरी की तलाश में दर-दर भटकने पर मजबूर है. कोई विभाग इससे अछूता नहीं हैं. इसके चलते विभागों की व्यवस्था चरमरा गई हैं. चाहे वह कोई विभाग हो, विद्युत विभाग में आउटसोर्सिंग सिस्टम से निचले स्तर पर विद्युत कर्मियों को रखा गया था जो पिछले एक दशक से वही काम कर रहे थे जिन्हें कभी समय से वेतन नहीं मिलते थे और वेतन के लिए धरना प्रदर्शन करना पड़ता था. जिसमें लाइनमैन, फिटर सहित तमाम पदों पर काम कर रहे थे.

आईटीआई वह पॉलिटेक्निक करके यह बेरोजगार युवा 5000 से ₹6000 पर दिन रात काम करने पर मजबूर है. इनका ठेकेदार द्वारा जमकर शोषण भी किया जा रहा है. पिछले कुछ महीने पहले संविदा कर्मी काम ठप कर हड़ताल पर चले गए थे कि इनकी मांग थी की इन्हें भी परमानेंट स्थाई किया जाए, लेकिन इन्हें केवल आश्वासन दिया गया और इनको निकालने की कवायद जारी कर दी गई. जिसके चलते यह संविदा कर्मी जो जनपद में कार्यरत थे पूरी तरह अनभिज्ञ थे, लेकिन एकाएक इन्हें काम से निकाल कर बाहर का रास्ता दिखा दिया गया और ये एका एक सड़क पर आ आ गए हैं. ये अब दर-दर भटक भूखे मरने पर विवश हैं. इनकी जगह नए लड़कों को जो अभी अनट्रेंड है उनको रख दिया गया है. जिनको अभी कुछ न तो क्षेत्र की भौगोलिक स्थिति की जानकारी है और ना ही विद्युत व्यवस्था की जानकारी जिसके चलते अगर कहीं फाल्ट हो जा रहा है तो वह बन नहीं पा रहा है और उपभोक्ता इस भीषण गर्मी में परेशान रह रहा है एसी रूम में बैठे उच्च अधिकारी केवल हुक्म बजाने का कार्य कर रहे हैं और विद्युत व्यवस्था ध्वस्त चल रही है.

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आउटसोर्सिंग सिस्टम के चलते विद्युत विभाग पूरी तरह खोखला नजर आ रहा है. विद्युत व्यवस्था पूरी तरह चरमरा गई है. न तो विद्युत बिल की वसूली हो पा रही है और ना ही समुचित उपभोक्ताओं को बिजली ही मिल पा रही है ऐसे में प्रदेश सरकार का शहरी क्षेत्रों में 24 घंटे और ग्रामीण क्षेत्रों में 18 घंटे बिजली देने का दावा पूरी तरह फेल नजर आ रही है. अब देखना यह है कि विद्युत विभाग आउटसोर्सिंग सिस्टम के चलते पूरी तरह बर्बाद रहता है या विभाग में स्थाई नियुक्तियां कर विभाग को पुनः पहले जैसा बनाया जाता है.

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