प्रमोद निर्मल, मानपुर(राजनांदगांव). जिले के वनांचल इलाके का एक लाल तमिलनाडु में कहीं खो गया है. अपने साथियों से बिछड़कर अलग हुए इस किशोर को गुम हुए करीब तीन माह बीत चुके हैं. अपने जिगर के टुकड़े के यू गायब हो जाने से परेशान हलाकान पिता ने गुमशुदगी भी दर्ज करा दी है, लेकिन अब तक पुलिस उसके बेटे का सुराग भी नहीं निकाल पाई. बेटे के खो जाने से लाचार पिता पुलिस से मदद के लिए थाने और अफसरों के चक्कर काटने को मजबूर हो गया है. वहीं गुम किशोर की मासूम बहन व अन्य परिवारजन भी अपने घर के चिराग को फिर से घर में रौशन करने की आस में बैठे हुए हैं.

मामला मानपुर ब्लाक के सीतागांव थाना क्षेत्र के ग्राम लेखेपाल का है. स्थानीय निवासी हिरउ राम कोवाची अपने बेटे को वापस ढूंढकर वापस घर लाने यहाँ वहाँ चक्कर काट रहा है. दरअसल उसका 19 वर्षीय जवान बेटा पिछले तीन माह से लापता है. हिराउ राम के मुताबिक करीब तीन माह पहले उसका बेटा सुखेन्द्र कोवाची घर में बिना किसी को कुछ बताए कही चला गया. तब से काफी पतासाजी के बाद भी उसका अब तक कोई पता नहीं मिला है. हिरउ के मुताबिक वह सीतागांव पुलिस थाने में रिपोर्ट दर्ज करा चुका है. इसके अलावा सीतागाव व मानपुर मुख्यालय पहुंचकर आला अफसरों से भी अपने बेटे को ढूंढने की गुहार लगा चुका है. बावजूद इसके अब तक लापता सुखेन्द्र को ढूंढने के लिए ठोस कदम नही उठाया जा सका है.

ट्रेन में बिछड़ा, तमिलनाडु में छूटा साथियों का साथ

दरअसल लापता सुखेन्द्र गाँव के ही अपने चार अन्य साथियों लिबिन, विकास, संदीप और संजय के साथ तीन माह पहले तमिलनाडु काम करने के लिए गया हुआ था. छत्तीसगढ़ से तमिलनाडु के सफर के दौरान सुखेन्द्र अपने उक्त चारों साथियों से ट्रेन में बिछड़ गया. तब से उसका कोई पता नहीं है. सुखेन्द्र के पिता हिराउ के मुताबिक हाल ही में सुखेन्द्र के साथ तमिलनाडु गए चार साथियों में से एक संदीप भुआर्य गाँव वापस लौटा है. हिराउ के मुताबिक तमिलनाडु में उसके बेटे के गुम हो जाने की जानकारी उसे संदीप से ही मिली. हिराउ के मुताबिक संदीप ने उसे बताया कि ट्रेन में सफर के दरमियान वो चारों ओमलूर स्टेशन में उतर गए लेकिन सुखेन्द्र उनके साथ ट्रेन से नही उतर सका और तब से उसका किसी से कोई संपर्क नहीं हो पाया.

तमिलनाडु में आधार कार्ड जब्त कर काम लेती है कंपनी

तमिलनाडु से वापस लौटे संदीप के बताए अनुसार हिराउ राम ने बताया कि उसके बेटे से ट्रेन में बिछड़ने के बाद उसके बाकी साथी तमिलनाडु में एक कंपनी में काम कर रहे हैं. हिराउ के मुताबिक संदीप ने उसे बताया कि वहां जिस कंपनी में वो बाकियों के साथ काम कर रहा था उस कंपनी के लोग उनसे उनका आधार कार्ड लेकर अपने पास रख लेते है. हिराउराम के मुताबिक संदीप तमिलनाडु से लौट कर गांव में रह रहा है. जबकि बाकी के तीन साथी अभी भी वहाँ काम कर रहे हैं. गौरतलब है कि छत्तीसगढ़ के युवाओं का काम काज के फेर में दक्षिण भारत जाकर बंधुआ मजदूर बन जाने की घटनाएं जग जाहिर है. ऐसे में मानपुर अंचल से लापता सुखेन्द्र व उसके अन्य साथी भी बंधुआ मजदूरी की फांस में फंसे हुए है इस बात की आशंका गहराने लगी है.

दक्षिण भारत जाकर ढूंढना चाहता है पिता, मदद की दरकार

जवान बेटे की गुमशुदगी ने पिता को लाचार बना दिया है. परेशान पिता तीन माह से इस बात के इंतिजार में है कि पुलिस उनके बेटे को ढूंढ कर लाएगी, लेकिन अब तक ऐसा नहीं हुआ. लाचार पिता अब स्वयं दक्षिण भारत के विभिन्न प्रदेशों मशलन आंध्र, तेलंगाना, तमिलनाडु, केरल जाकर अपने जिगर के टुकड़े को तलाशना चाहता है. वहाँ जाने के लिए व किसी प्रकार की असुविधा से बचने के लिए उसने स्थानीय ग्राम पंचायत से पत्र भी लिखवाकर रखा हुआ है, लेकिन पुलिस व प्रशासन से बेहतर मार्गदर्शन व मदद के अभाव में वह खुद भी बेटे को ढूंढने जाने में भी लाचार होता दिख रहा है.