रायपुर. भारतीय ज्योतिष शास्त्र के अनुसार कुछ मुहूर्त ऐसे होते हैं जो इतने शुभ होते हैं कि उस अवधि के दौरान किए गए किसी भी कार्य की पुनरावृत्ति का कारण बनते हैं. इन्हीं में से एक है द्विपुष्कर योग. द्विपुष्कर योग सुबह 11 बजकर 4 मिनट से अगली सुबह 6 बजकर 55 मिनट तक रहने वाला है. रवि योग सुबह 6 बजकर 55 मिनट से 8 बजकर 38 मिनट तक रहेगा. द्विपुष्कर योग सप्ताह के दिन, तिथि (चंद्र दिन) और नक्षत्र का एक विशेष संयोजन है जो एक शुभ मुहूर्त को जन्म देता है.
काम की शुभता और उस शुभता में वृद्धि की इच्छा हम सभी के भीतर रहती है. कोई भी काम जो अ’छा हो मन को भाए और उससे जीवन में सुख और मांगल्य का वास हो, तो हम चाहेंगे की वह कार्य हमारे जीवन में बार-बार घटित हो. सुख और समृद्धि घर-परिवार में सदैव बनी रहे, यही मनोकामना प्रत्येक व्यक्ति के जीवन का मूल आधार होती है. Read More – ठंड में हर दिन आपकी बाइक भी पड़ जाती है बंद, तो अपनाएं ये पांच टिप्स, हमेशा आएगी काम …
द्विपुष्कर योग इन्हीं शुभ योग मुहूर्त में स्थान पाते हैं. क्योंकि मान्यता है की अगर इन योग के समय किए गए किसी काम से हमें लाभ मिल रहा हो तो वह दो गुना रुप से हमें प्राप्त होता है. हमारी शुभता और लाभ में वृद्धि होगी. इसलिए इस समय के दौरान में बहुमूल्य वस्तुओं की खरीदारी करना अच्छा माना गया है.
द्विपुष्कर योग करने योग्य कार्य
आभूषण, भूमि-संपत्ति, वाहन इत्यादि को खरीदना द्विपुष्कर योग में बहुत अच्छा माना गया है. इसके अतिरिक्त पशुओं की खरीदारी करना अथवा कोई नए व्यवसाय का आरंभ करना भी इस योग के समय पर शुभ होता है. Read More – New Born Baby के जीभ की सफाई है बेहद जरूरी, सफाई के दौरान रखें कुछ जरूरी बातों का ख्याल …
इसी के साथ किसी योग की अगर अपनी शुभता है तो उसके कारण कुछ कमी भी हो सकती वह अपने समय के दौरान होने वाले कुछ खराब फलों को भी दर्शा सकता है. जैसे की यदि इस योग के दौरान घाटा हो या किसी प्रकार की परेशानी इत्यादि का सामना करना पड़े, तो वह परेशानी भी दोगुना ही होने की संभावना भी रहती है. इस समय के दौरान इन योगों की शांति करा देना अत्यंत शुभ रहता है. द्विपुष्कर योग की शांति के लिए तीन गायों के मूल्य के समान धन या तिल से बनी वस्तु का दान करना श्रेष्ठकर माना गया है.
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