रायपुर- आवश्यक सेवाओं के परिवहन को सुचारू रखे जाने के मद्देनजर शुरू की गई ई- पास सेवा का बुरा हाल है. दरअसल मोबाइल एप्लीकेशन के जरिए बड़ी तादात में आवेदन तो आ रहे हैं, लेकिन आवेदनों के एवज में स्वीकृत किए जाने वाले मामले बेहद कम हैं. बता दें कि कोरोना संकट की वजह से लागू हुए लाॅकडाउन के बीच सरकार ने अत्यावश्यक सेवाओं की आपूर्ति के साथ-साथ आपात स्थिति के लिए ई- पास सुविधा शुरू की थी. मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने इस सेवा का शुभारंभ किया था. ई-पास नहीं मिलने की वजह से सप्लाई से जुड़ी कई सेवाएं प्रभावित हो रही हैं, साथ ही इमरजेंसी के हालात में एक स्थान से दूसरे स्थान तक जाने में भी लोगों को अड़चनों से जूझना पड़ रहा है.

कोरोना संक्रमण के बचाव के लिए प्रशासन एहतियात बरतते हुए ई-पास एप के जरिए आ रहे आवेदनों पर आटो जनरेट अनुमति नहीं दे रहा है. हर एक आवेदन पर मैन्युअल तरीके से अनुमति दी जा रही है. बताते हैं कि एप्लीकेशन के लांच होने के बाद से रोजोना हजारों आवेदन प्रशासन को मिल रहे हैं, लेकिन इसके ऐवज में अनुमति चंद आवेदनों पर ही दी जा रही है. सूत्रों की माने तो अब तक करीब 40 हजार आवेदन किए गए हैं, जबकि अनुमति दिए जाने का आंकड़ा महज पांच हजार तक ही पहुंच सका है. दवा कारोबार, फूड ग्रेन सप्लाई जैसे अत्यावश्यक सेवाओं से जुड़े कारोबारियों को अनुमति नहीं मिल पाने की वजह से काम प्रभावित हो रहा है.
प्रशासनिक सूत्रों की माने तो स्मार्ट सिटी परियोजना के तहत ई-पास एप को तैयार किया गया था, लेकिन इससे राज्य के सभी जिलों को जोड़ा गया है. हर जिले में एप्लीकेशन के जरिए आ रहे आवेदनों को मैन्युअल अनुमति दिए जाने का अधिकार एडीएम, एसडीएम रैंक के अधिकारियों को दिया गया है, चूंकि प्रशासनिक व्यवस्थाओं के दूसरे काम भी जिम्मेदार अधिकारियों के पास हैं, लिहाजा हर एक आवेदन को मैन्युअल ढंग से देखकर अनुमति स्वीकृत किया जाना संभव नहीं है.
एक उच्च पदस्थ अधिकारी ने कहा है कि मौजूदा व्यवस्था देखकर बड़ी तादात में ई-पास जारी किए जाने में अड़चनें आएंगी ही. कई राज्यों में वेबसाइट के जरिए ई-पास दिए जाने की कवायद चल रही है. इसके लिए जिम्मेदारी तय की गई है. बकायदा नोडल अधिकारी की नियुक्ति की गई है, जो दूसरे काम नहीं देख रहे. राज्य में भी ऐसी व्यवस्था पर ध्यान दिए जाने पर विचार किया जा सकता है.

एक लाख से ज्यादा एप्लीकेशन डाउनलोड

गूगल प्ले स्टोर बताता है कि अब तक ई-पास एप्लीकेशन एक लाख से ज्यादा लोगों ने अपने मोबाइल फोन पर डाउनलोड कर लिया है. कोरोना संकट से जूझ रहे देश के सभी राज्यों में अलग-अलग तरह की व्यवस्थाएं की गई है, लेकिन छत्तीसगढ़ इकलौता राज्य है जहां परिवहन की अनुमति के लिए ई-पास एप्लीकेशन तैयार किया गया है. कारोबारी कहते हैं कि यह सुविधा उपयोगी है, लेकिन इसकी अनुमति की समुचित व्यवस्था किए जाने की जरूरत है. 22 प्रकार की सेवाओं के परिवहन के लिए ई-पास को एक बेहतर कारगर तरीका माना जा रहा था, लेकिन अनुमति नहीं मिल पाने की वजह से ढेरों आवेदन लंबित हैं, जिन्हें अनुमति नहीं दी सकी है. कुछ प्रकरण ऐसे भी सामने आए हैं कि आवेदन निरस्त होने की सूचना दो-दो दिन बाद मैसेज के जरिए दी गई है.

जाने ई-पास पाने की प्रक्रिया

ई-पास की अनुमति पाने की पूरी प्रक्रिया अत्यधिक सरल हैै. इसके लिए https://rebrand-ly/z9k75qp लिंक पर जाकर कोविड-19 ई-पास एप्प डाउनलोड करके इसे इंस्टॉल करना होता है. इंस्टॉल करने के बाद अपना मोबाइल नं. व ओटीपी दर्ज कर अपना आवेदन पत्र पूर्ण करने के बाद आधार कार्ड व वाहन का नंबर भी दर्ज करना होता है. इस ई-फार्म में आवेदक को फोटो व पहचान पत्र व सेवा प्रदाता प्रमाण भी अपलोड करना अनिवार्य है. भरे हुए फार्म को प्रशासन गुण-दोष के आधार पर स्वीकृत या अस्वीकृत करेगा. सड़क पर मौजूद पुलिस कर्मचारी इस एप के माध्यम से स्वीकृत आवेदनों का सत्यापन भी अपने मोबाइल के जरिए तुरंत जांच कर सकते हैं. यह ई-पास सब्जी, दूध, फल, दवा, अनाज की दुकानों, पेट्रोल पंप व बैंक कर्मियों के लिए अति उपयोगी हैं, जिन्हें आवश्यक सेवा प्रदाता के रुप में आवागमन की स्वीकृति आवश्यक होती हैं.