रायपुर– छत्तीसगढ़ इंफोटेक प्रमोशन सोसाइटी (चिप्स) के दफ्तर में आज दूसरे दिन भी आर्थिक अन्वेशन ब्यूरो (ईओडब्ल्यू) की टीम ने छापा मारा है. ईओडब्ल्यू ई-टेंडरिंग घोटाले मामले की जांच कर रही है. जानकारी के मुताबिक टीम दफ्तर में रखे जरूरी कागजात की जांच की. मौके पर ईओडब्ल्यू एसपी कल्याण एलेसेला भी मौजूद रहे. एसपी ने बताया कि बुधवार को ईओडब्ल्यू टीम ने बहुत सारे दस्तावेज चिप्स के ऑफिस से जब्त की है. टीम को 25, 26 बंडल फाइल मिले हैं, जिसकी स्कूटनी की जा रही है. आज भी चिप्स में कुछ टेंडर्स पहचान किए हैं. कुछ हाईवेल्यू टेंडर्स है. उसके बारे में जानकारी प्राप्त करने आज सीईओ से मुलाकात की. अभी जांच फिलहाल स्कूटनी स्टेज पर है. उसके बाद व्यक्ति की पहचान करेंगे, फिर उससे पूछताछ होगी.

आपको बता दें कि पिछले दिनों मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कैग की रिपोर्ट में साढ़े चार हजार करोड़ रूपए के इस घोटाले की जांच कराए जाने का ऐलान किया था. उनके इस ऐलान के बाद शासन की ओर से सामान्य प्रशासन विभाग ने 23 जनवरी को संशोधित आदेश जारी किया था. घोटाले की जांच का जिम्मा ईओडब्ल्यू के आईजी एसआरपी कल्लूरी को दिया गया है. राज्य शासन ने आदेश में कहा था कि तीन महीने में जांच पूरी कर रिपोर्ट पेश की जाए.

देखिए वीडियो-

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क्या है पूरा मामला?

कैग की रिपोर्ट में यह बड़ा घोटाला उजागर हुआ था. कैग की आडिट रिपोर्ट के मुताबिक 17 विभागों के अधिकारियों द्वारा 4601 करोड़ के टेंडर में 74 ऐसे कंप्यूटर का इस्तेमाल निविदा अपलोड करने के लिए किया गया था. उसी कंप्यूटर से टेंडर भी भरा गया. कैग की रिपोर्ट में बताया गया है कि 10 लाख से 20 लाख के 108 करोड़ के टेंडर PWD और WRD प्रणाली द्वारा जारी न कर मैन्युअली जारी किये गए. रिपोर्ट के मुताबिक जिन 74 कंप्यूटरों से टेंडर निकाले गए उसी कंप्यूटरों से टेंडर वापस भरे भी गए. ऐसा 1921 टेंडर में हुआ. यानी कि 4601 करोड़ के टेंडर अधिकारियों के कंप्यूटर से भरे गए.

कैग की रिपोर्ट में खुलासा हुआ कि टेंडर से पहले टेंडर डालने वाले और टेंडर की प्रक्रिया में शामिल अधिकारी एक दूसरे के संपर्क में रहने के संकेत मिलते हैं. कैग ने मामले में जांच की सिफारिश की है. रिपोर्ट में बताया जा रहा है कि 5 अयोग्य ठेकेदारों को 5 टेंडर जमा करने दिया गया. इसके साथ चिप्स की कार्यप्रणाली पर भी कैग ने गंभीर सवाल उठाए कहा था कि चिप्स ने ई टेंडर को सुरक्षित बनाने के लिए पर्याप्त उपाय नहीं किये. कैग की रिपोर्ट में बताया गया कि 79 ठेकेदारों ने दो पैन नंबर टेंडर प्रक्रिया में इस्तेमाल किया. एक पैन का इस्तेमाल PWD में रजिस्ट्रेशन के लिए और दूसरा ई प्रोक्योरमेंट में किया गया. ठेकेदारों ने आयकर अधिनियम की धारा 1961 का उल्लंघन किया है. इन 79 ठेकेदारों को 209 करोड़ का काम दिया गया. नवंबर 2015 से मार्च 2017 के बीच 235 ईमेल आईडी का इस्तेमाल कर 1459 विक्रेताओं ने किया. जबकि सभी विक्रेताओं को यूनिक id देने का प्रावधान किया गया था. एक ईमेल आईडी का इस्तेमाल 309 निवेदाकारों ने किया.