रायपुर. सरकार ने ई वे बिल के रूल्स में विशेष सुधार किया है. गुड्स की इंटर स्टेट मूवमेंट पर 01 अप्रैल 2018 से ई वे बिल लागू किया गया है. गुड्स की इंट्रा स्टेट मूवमेंट पर 31 मई 2018 तक अलग-अलग राज्य में अलग-अलग समय पर तारीख की घोषणा करके ई वे बिल लागू होगा. अब 50 हजार से नीचे की कन्साइनमेंट पर ई वे बिल बनाना जरूरी नहीं है. चाहे एक गाड़ी में कुल माल पचास हजार से ज्यादा हो. ई वे बिल के लिए कन्साइनमेंट वैल्यू में एक्सेम्पटेड गुड्स की वैल्यू को नहीं जोड़ा जायेगा.पब्लिक ट्रांसपोर्ट द्वारा गुड्स की मूवमेंट करने के लिए ई वे बिल माल बेचने या खरीदने वाले को बनाना पड़ेगा.
रेलवेज को ई वे बिल बनाना और गुड्स की मूवमेंट के दौरान साथ रखने जरूरी नहीं है, केवल बिल या डिलीवरी चालान साथ रखना होगा. परन्तु रेलवेज से गुड्स प्राप्त करने के लिए ई वे बिल जरूरी होगा.
अन्य महत्वपूर्ण नियम इस तरह हैं –
- माल प्राप्तकर्ता माल को स्वीकार या अस्वीकार ई वे बिल के वैलिडिटी पीरियड या 72 घंटे जो भी पहले हो तक ही कर सकता है .
- जॉब वर्क के लिए जा रहे माल का ई वे बिल रजिस्टर्ड जॉब वर्कर भी बना सकेगा .
- माल भेजने वाले द्वारा ट्रांसपोर्टर, कूरियर एजेंसी और ई कॉमर्स ऑपरेटर को ई वे बिल का पार्ट A भरने के लिए अधिकृत किया जा सकेगा .
- माल भेजने या प्राप्त करने वाले के स्थान और ट्रांसपोर्टर के स्थान तक 50 किलोमीटर (पहले 10 किलोमीटर ) तक ई वे बिल का पार्ट B भरने की जरुरत नहीं है, केवल पार्ट A ही भरना होगा .
- Over Dimensional Cargo (ODC) को ई वे बिल के लिए अधिक वैलिडिटी समय दिया जायेगा .
- अगर माल ई वे बिल के वैलिडिटी पीरियड में न पहुंच पाने पर ट्रांसपोर्टर केवल वाजिब कारण होने पर ई वे बिल की वैलिडिटी पीरियड बढ़ा सकेगा .
- ई वे बिल की एक दिन की वैलिडिटी बिल बनाने के अगले दिन की मध्य रात्रि को खत्म तक होगी .
- बिना किसी विशेष सूचना के किसी गाड़ी को एक बार चेक होने पर किसी भी राज्य / केंद्र शासित प्रदेश में दोबारा चेक नहीं किया जायेगा .
- रेलवेज, एयरवेज और वाटरवेज द्वारा माल भेजने पर ई वे बिल माल भेजने के बाद भी बनाया जा सकता है, पर माल बिना ई वे बिल के प्राप्त नहीं किया जा सकेगा .
- गुड्स की मूवमेंट Bill-To-Ship-To सप्लाई होने पर ई वे बिल के पार्ट-ए के प्लेस ऑफ़ डिस्पैच से देखी जाएगी .