Eco-friendly Ganesha Murti : गणेश चतुर्थी पर्व हर साल भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को मनाया जाता है. इस दिन बुद्धि के दाता भगवान गणेश, हिमालय पर्वत छोड़कर धरती पर अपने भक्तों से मिलने के लिए आते हैं. भक्तों के दुख-दर्द दूर करने आते हैं. 7 सितंबर को गणेश चतुर्थी पर्व भारत समेत पूरी दुनिया में धूम-धाम से मनाया जाने वाला है. इस दिन घर में, पंडालों में गणेश जी की स्थापना होगी.
वैसे मिट्टी के गणेश की स्थापना शुभ मानी जाती है, मगर आप अपने भक्ति के अनुरूप अन्य चीजों से बनी मूर्ति भी स्थापित की जा सकती हैं. इस आर्टिकल में आज हम मिट्टी, गोबर, हल्दी से बनी प्रतिमाओं के बारे में जानते हैं.
लकड़ी से बनी मूर्ति की भी स्थापना का विधान (Eco-friendly Ganesh Murti)
यूं तो मिट्टी के गणेश को स्थापित करने का विधान है, मगर मिट्टी की मूर्ति के स्थान पर आप लकड़ी से बनी मूर्ति भी घर ला सकते हैं. स्थापित कर सकते हैं. लकड़ी की मूर्ति पीपल, आम या नीम की लकड़ी से बनी हो. यह मूर्ति प्रवेश द्वार के ऊपरी हिस्से में रखना शुभ माना जाता है. इससे घर में नकारात्मकता का प्रवेश कभी नहीं होता.
आजकल गोबर के गणेश का चलन चल रहा
इको फ्रेंडली गणेश यानी मिट्टी, गोबर और खाद्य सामग्रियों से बनी गणेश प्रतिमा, जिनके निर्माण और विसर्जन से ईको सिस्टम प्रभावित नहीं होता. आजकल इनका ही ट्रेंड है. गोबर को शुभ माना गया है. हर पूजा में सबसे पहले गोबर से गणगौर की स्थापना की जाती है. इससे आर्थिक लाभ होता है. आप सोने, चांदी या फिर पीतल से बनी गणेश जी की मूर्तियों को भी स्थापित कर सकते हैं.
हल्दी से बने गणेश जी को घर में करें स्थापित
गणेशजी की हल्दी से बनी मूर्ति को घर के मंदिर में स्थापित करने से साधक को शुभ परिणाम मिलते हैं. इसे आप घर में तैयार कर सकते हैं. इसके लिए हल्दी पीस लें. इसे पानी मिलाकर आटे की तरह गूंथ लें, और गणेश जी की आकृति दें. आप हल्दी की ऐसी गांठ को भी मूर्ति की तरह पूज सकते हैं, जिसमें गणपति जी की आकृति उभर कर आ रही हो.
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