नई दिल्ली। कानपुर के कारोबारी पीयूष जैन के लिए मुश्किलें और बढ़ने वाली हैं, क्योंकि अब प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) उनके खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग का मामला दर्ज करने पर विचार कर रही है, जिन्हें जीएसटी टीम ने टैक्स चोरी के आरोप में गिरफ्तार किया था। जीएसटी की इंटेलिजेंस यूनिट ने रविवार को पीयूष जैन के परिसरों पर छापेमारी की थी। उन्हें घर से बरामद नोट गिनने के लिए एक बैंक कर्मचारी को बुलाना पड़ा। एक सूत्र ने कहा, “यह 250 करोड़ रुपये थे, जो हमने उनके घर से बरामद किए। पीयूष कोई संतोषजनक जवाब नहीं दे सके कि उन्हें पैसा कहां से मिला। हमने आयकर विभाग और अन्य एजेंसियों के साथ जानकारी साझा की है। इस संबंध में ईडी को भी दस्तावेजों का एक सेट भी दिया गया है।”

सूत्र ने कहा कि अब ईडी जल्द ही प्रिवेंशन ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट (पीएमएलए) की संबंधित धाराओं के तहत मामला दर्ज करेगी। ईडी फिलहाल जीएसटी विभाग की अंतिम रिपोर्ट का इंतजार कर रही है।

रविवार को जीएसटी और आईटी विभाग की टीमों ने एक गुप्त सूचना के बाद कानपुर, कन्नौज और मुंबई में छापेमारी की थी। आयकर विभाग फिलहाल उनकी बेनामी संपत्तियों की सूची बना रहा है। भविष्य की कार्रवाई तय करने के लिए इसे ईडी के साथ साझा किया जाएगा।

एक जीएसटी सूत्र ने कहा, “हमने उनकी 300 करोड़ रुपये की बेनामी संपत्तियों से संबंधित दस्तावेज बरामद किए हैं। हमें संदेह है कि वह कुछ राजनेताओं को बेनामी संपत्तियों के माध्यम से धनशोधन में मदद कर रहे थे। ईडी अधिकारी हमारे संपर्क में हैं, एक बार जब हम फाइल पूरी कर लेंगे, तो हम इसे ईडी को दे देंगे।”

रविवार को पीयूष जैन को केंद्रीय एजेंसियों ने कर चोरी के आरोप में गिरफ्तार किया था। केंद्रीय जांच एजेंसी ने उनके खिलाफ केंद्रीय वस्तु एवं सेवा कर (सीजीएसटी) अधिनियम की धारा 69 के तहत मामला दर्ज किया था।