पुरषोत्तम पात्र, गरियाबंद। छत्तीसगढ़ के गरियाबंद जिले में शिक्षा विभाग आए दिन बड़े-बड़े कारनामे कर रहा है. इस बार तो शिक्षा विभाग ने मंत्री जी और कलेक्टर को अंधेरे में रख कर पूरा खेल कर दिया. प्रभारी मंत्री के निर्देश पालन की आड़ में और कलेक्टर को गुमराह कर चहेते अधीक्षकों से सूची भर दी गई. इस सूची को लेकर अब जिले में ‘बंडल’ को लेकर बाजार गर्म है. आखिर हो भी क्यों न, मंत्री जी ने स्कूल से ही शिक्षकों को अधीक्षक बनाने की कहा, लेकिन DEO साहब निकले चाणक्य, इन्होंने गेम खेल, अपने चहेतों से पूरी सूची भर डाली. ऐसा हम नहीं जिले में जोरों से चल रही चर्चाएं कह रही हैं.

दरअसल, पहले 4 करोड़ की ब्लैक बोर्ड खरीदी फिर खेलगढिया के बाद शिक्षा विभाग ने इस बार प्रभारी मंत्री के निर्देश की आड़ में ही बड़ा ‘खेला’ कर दिया है. 19 जुलाई को प्रभारी मंत्री अमरजीत भगत ने गरियाबंद में अफसरों की बैठक ली. बैठक में शिक्षकों की कमी का मुद्दा उठा तो हल निकालते हुए मंत्री ने कलेक्टर को निर्देश जारी कर संलग्नीकरण समाप्त करने कहा था.

मंत्री जी ने आश्रम में पदस्थ शिक्षकों में से ही अधीक्षक बनाने कहा था, ताकि आश्रम प्रबंधन के साथ साथ अधीक्षक अध्यापन कार्य भी करा सके. इस निर्देश के बाद शिक्षा विभाग ने संलग्नीकरण में आए अधीक्षकों को हटा कर मूलशाला भेजने की तैयारी शुरु कर दी, जिस आदेश को निकालने 2 दिन लगना था, उसे माह भर के अंतराल के बाद निकाला गया.

बताया जा रहा है कि पहली किश्त में जारी नए 34 आश्रम अधीक्षक की सूची में कई ऐसे नाम हैं, जो मंत्री के मंशा पर खरे नहीं उतरते. 7 नाम तो ऐसे हैं, जो दूसरी संस्था में अध्यापन करा रहे हैं. इन्ही में से एक अक्टूबर तक मातृत्व अवकाश में है.

इस बीच जिला शिक्षा अधिकारी के दफ्तर में लगने वाली भीड़ बता रहा थी कि क्या कुछ चल रहा है अंदर. आखिरकार जिला शिक्षा अधिकारी करमन खटकर ने कलेक्टर से अनुमोदन करवा कर 34 नए अधीक्षकों की सूची 18 अगस्त को जारी की. सूची विभागीय एवं मीडिया, सोशल मीडिया पर भी सार्वजनिक करवाया गया, लेकिन जारी सूची पर अब सवाल खड़ा होना शुरू हो गया है. आदिवासी विकास भी जारी सूची को लेकर नाराज है, लेकिन नाराजगी सार्वजनिक नहीं किया.

समझिए कैसे नियम की आड़ लेकर नियम तोड़ा गया
1-संलग्न हटाना था, फिर नए संलग्नीकरण क्यों..?
छात्रावास और आश्रम के नए अधीक्षक की जारी सूची में प्राशा गुरुजीभाठा अ में पदस्थ प्रेमशीला साहू को प्री मैट्रिक कन्या छात्रावास अमलीपदर, प्राशा छोटे लाटापारा में पदस्थ पायल ठाकुर प्री मैट्रिक छात्रावास देवभोग, प्रा शा गढियापारा की सत्रुपा कुर्रे बम्हनी कन्या आश्रम, एम एस सढोली के झुमुक लाल टेकाम क आदिवासी बालक क्रीड़ा परिसर गरियाबन्द, प्रा शा लादाबहार की चैती बाई को कन्या छात्रावास रूवाड़, प्रा शा भाठीगढ़ के दुर्गाचरण कोमर्रा बालक छात्रावास मैनपुर, प्रा शा ढोढर्रा की सुसीला नेताम को कालीमाटी कन्या आश्रम, मालगांव के गुलाप दीवान को कमार बालक आश्रम गरियाबन्द के अधीक्षक बनाया गया है.

मंत्री के निर्देश के मुताबिक सलंग्न किए बगैर उसी संस्था में पदस्थ शिक्षकों को ही अधीक्षक बनाया जाना था. इन शिक्षकों को रोजाना 8 से लेकर 40 किमी का सफर तय कर मूल संस्था के साथ संलग्न संस्था की जवाबदारी संभालनी होगी.

2.जिसे अक्टूबर तक छुट्टी दिया उसे बनाया अधीक्षक-

जारी सूची में 30 वे क्रमांक पर ढोढर्रा के जिस सुशीला नेताम को कालीमाटी कन्या आदिवासी आश्रम का अधीक्षक बनाया गया है, उन्हें जिला शिक्षा अधिकारी ने 20 जुलाई को आदेश जारी कर 21 जुलाई से 18 अक्टूबर 2022 तक मातृत्व अवकाश पर भेज दिया है. ढोढर्रा की दूरी कालीमाटी से लगभग 20 किमी की है. ऐसे में सवाल उठता है कि कालीमाटी में योग्य शिक्षक होने के बावजूद दोहरे जवाबदारी आखिर छुट्टी पर गई दूर के संस्था में पदस्थ शिक्षिका सुशीला को क्यों दिया गया ?

3-भक्ति दिखाने वालों पर शक्ति का प्रभाव नहीं
34 नाम की सूची के अलावा बैक टू बैक 19 नामों की एक और सूची जारी की गई. यह सूची उनकी है जो पिछले कई सालों से जमे हुए हैं. मूल शालाओं का हवाला देकर जिन 34 लोगों को अधीक्षक से हटाया गया था, उसी मापदंड पर हटाये जाने योग्य दूसरी सूची में भी कई नाम यथावत रख दिए गए.

सूची के क्रमांक 4,5,9 एवं 12 में स्थित नाम के अधीक्षकों की मूल शाला की दूरी 5 से 12 किमी तक कि है. इन्हें क्यों नहीं हटाया गया यह सवाल शिक्षा विभाग के गलियारों में चर्चा का विषय बना हुआ है. दबे जुबान में सभी यही कह रहे हैं, जिन्होंने ने भक्ति दिखाई उन पर शक्ति का प्रभाव नहीं पड़ा है.

4-क्षेत्राधिकार का उल्लंघन,शिक्षक संघ भी नाराज-

इस पूरे खेल में क्षेत्राधिकार का उल्लंघन का मामला भी सामने आया है. आश्रम और छात्रावास में अधीक्षक नियुक्ति का अधिकार आदिवासी विकास विभाग के सहायक आयुक्त का होता है, लेकिन सारा उलट फेर अकेले शिक्षा विभाग कर दिया।शिक्षा विभाग को केवल अध्यापन सम्बंधी दायित्व निर्वहन का जिम्मा था. इस व्यवस्था को बनाने के पहले जिला पंचायत की शिक्षा समिति में सूची को अनुमोदित नहीं कराया गया. इतना ही नहीं जिन संस्थाओं में शिक्षक, प्रिंसिपल और लेक्चरार मौजूद हैं, उन्हें अनदेखा कर सहायक शिक्षकों को अधीक्षक बना दिया गया. विभाग के इस मनमानी से शिक्षको में भी जबरदस्त रोष देखा गया है.

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