सतीश चांडक, सुकमा। भले ही प्रदेश के शिक्षामंत्री और मुख्यमंत्री शिक्षा को लेकर बड़े-बड़े दावे कर रहे हो लेकिन नक्सल प्रभावित इलाकों में आज भी कई ऐसे गांव हैं जहां स्कूल भवन तक नही है. पेड़ के नीचे बच्चे पढ़ने के लिए मजबूर हैं.
जिले के कोंटा ब्लॉक का कोर्रापाड़ गांव जो धुर नक्सल प्रभावित है इस गांव मे 2006 से प्राथमिक शाला का संचालन हो रहा है. वर्तमान में यहां 16 बच्चे अध्यनरत है. गांव के मध्य में स्थित इमली पेड़ के नीचे देश का भविष्य पढ़ रहा है. बकायदा शिक्षक आते हैं और बच्चों को पढ़ाते हैं। बारिश के दिनों में स्कूल बंद हो जाती है.
चूंकि गांव नक्सल प्रभावित है तो उस गाँव मे कोई भी सरकारी भवन नहीं बना हुआ है, इसलिए स्कूल पेड़ के नीचे लगती है. ऐसा नही है कि सिर्फ एक स्कूल का यह हाल है ब्लॉक के दर्जनों ऐसे स्कूल है जहां भवन नहीं है.
वहीं जिला शिक्षा अधिकारी राजेन्द्र राठौड़ ने बताया कि नक्सल प्रभावित इलाकों में कुछ गांवों में स्कूल भवन नहीं है, इस मामले की जानकारी लेकर बच्चों के लिए उचित व्यस्था की जाएगी.