शिवशम्भु,कोरिया. शिक्षा के मंदिर को एक बार फिर शिक्षा के व्यापारियों ने अपनी हरकतों से शर्मसार कर दिया है. एक छात्र को प्रेक्टिकल परीक्षा में सिर्फ इसलिए नहीं बैठने दिया गया क्योंकि उसके परिजनों ने स्कूल की फीस नहीं चुकाई थी. जिसकी सजा छात्र को प​रीक्षा से वंचित होकर चुकानी पड़ी. इतना ही नही शिक्षा का व्यापार करने वाले स्कूल प्रबंधन ने छात्र को स्कूल से भी भगा दिया. गनीमत यह रहा की इस छात्र ने कोई आत्मघाती कदम नहीं उठाया. नहीं तो कोई भी अप्रिय घटना हो सकती थी.

मामला कोरिया के झगराखांड में संचालित सेंट जोसेफ स्कूल का है. जहां कक्षा 10 वीं में पढ़ने वाले आदित्य सोनकर और उसके पिता पुरषोत्तम सोनकर ने आरोप लगाया है कि उसके पिता की चिरमिरी में हार्ड वेयर की एक छोटी सी दुकान है. कुछ पारिवारिक समस्याओं के चलते उसके पिता समय पर स्कूल की फीस नहीं भर पाए लेकिन उसके पिता ने स्कूल प्रबंधन के नाम पर 20 हजार रूपए का चेक काटकर दिया. इतना होने के बाद भी स्कूल प्रबंधन ने ठीक प्रेक्टिकल परीक्षा के दिन छात्र को यह कहते हुए स्कूल से भगा दिया कि अपने घर जाओ और फीस लेकर ही आना. इसके बाद छात्र अकेला ही घर के लिए रवाना हो गया और जैसे तैसे घर पहुंचा. जबकि रोज उसके परिजन उसे लेकर घर जाते थे लेकिन स्कूल प्रबंधन ने अभिभावक के आने की भी प्रतीक्षा नहीं की और उसे स्कूल से भगा दिया.

इस बारे में जब स्कूल की प्रिंसपल मेरी जोसेफ से बात की गई तो उनका कहना था कि बच्चे छुट्टियों में अकेले ही घर जाते हैं. वहीं फीस के बारे में उन्होने कहा कि बीते कई महीनों से बच्चे की फीस जमा नहीं हुई है जिसके चलते स्कूल ने ये कदम उठाया.