नासिर बेलिम, उज्जैन। मोक्षदायिनी क्षिप्रा नदी में मिल रहे नालों के मामले में आज मुख्यमंत्री के निर्देशन में अधिकारियों का एक दल उज्जैन पहुंचा और समस्याओं को जानकर स्थानीय प्रशासन से विचार विमर्श किया।

बता दें कि इस मामले को लल्लूराम डॉट काम ने न्यूज चलाकर प्रमुखता के साथ उठाया था। न्यूज चलने के बाद शासन और प्रशासन हरकत में आया। आला अधिकारियों की टीम ने मौके का निरीक्षण समस्याओं से अवगत हुए और स्थाई निराकरण के लिए प्लान बनाया है। उज्जैन में विगत दिनों क्षिप्रा नदी में मिल रहे गंदे पानी को लेकर संतो ने धरना देकर प्रदेश स्तर पर हंगामा खड़ा कर दिया। धरने को उच्च शिक्षा मंत्री मोहन यादव ने मुख्यमंत्री के प्रतिनिधि के रूप में पहुंचकर खत्म करवा दिया और क्षिप्रा शुद्धिकरण को लेकर जल्द बड़ा कदम उठाने का आश्वासन संतो को दिया था। धरना समाप्त होने के बाद से ही उज्जैन से लेकर भोपाल तक क्षिप्रा में मिल रहे सीवरेज को लेकर चर्चा गर्म रही। जलसंसाधन मंत्री तुलसी सिलावट भी उज्जैन पहुंचे ओर मामले को समझा और पूरे प्रोजेक्ट से मुख्यमंत्री को अवगत करवाया।

शुक्रवार को मुख्यमंत्री के निर्देश पर अपर सचिव स्तर के अधिकारियों का दल उज्जैन पहुंचा। दल में मुख्य रूप से जलसंसाधन विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव एसएन मिश्रा, आईसीपी केसरी अतिरिक्त मुख्य सचिव, मनीष सिंह प्रमुख सचिव नगरीय प्रशासन, कमिश्नर उज्जैन संदीप यादव, कलेक्टर आशीष सिंह मौजूद रहे। अधिकारियों ने आज क्षिप्रा नदी में मिल रहे खान नाले से लेकर त्रिवेणी तक का निरीक्षण किया और समस्याओं को जाना। इसके बाद अधिकारियों ने मेला कार्यालय में बैठक कर समस्याओं पर विचार विमर्श कर कुछ बिंदु पर तत्काल निर्णय भी लिए।

कलेक्टर आशीष सिंह ने बताया कि राघो पिपलिया से पहले एक अस्थायी स्टॉप डेम बनाया जाता था, जो अक्सर बह जाता था। इसी से आगे और राघो पिपलिया एक स्टॉप डेम बनाया जाएगा, ताकि अस्थाई डेम से आने से पहले पानी को रोक लिया जाएगा। इसी के साथ इंदौर से मिलने वाले नालों और उसमें मिलने वाले केमिकल की जानकारी जुटाने के लिए भोपाल से एक टीम बनाई जाएगी। टीम इस पर काम कर रिपोर्ट पेश करेगी। इसी के साथ तीन विकल्प भी रखे गए हैं। पहला खान नाले को पूर्ण रूप से डायवर्ड कर दिया जाए। दूसरा ट्रीटमेंट प्लांट पर काम कर पानी का उपयोग किया जाए। तीसरा पूरे पानी को ट्रीटमेंट करके छोड़ा जाए।