अमित पाण्डेय, सीधी। देश में सबसे पहले सफेद बाघ रीवा में देखा गया था, जिसे मोहन के नाम से जाना जाता है। वहीं मध्य प्रदेश के सीधी जिले में भी अब विश्व का पहला सफेद शेर जन्मस्थली लाने की कवायद शुरू हो चुकी है। जिसे लेकर 2 दिन से सीधी संजय टाइगर रिजर्व में विभागीय बैठक कर रूप रेखा बनाई जा रही है।

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मध्यप्रदेश में जहां विदेशों से बाघों को उनके शहर लाया जा रहा है, इसी क्रम में विश्व में सफेद शेर देने वाला जिला आज भी सफेद शेर के लिए कई वर्षो से वीराना पड़ा हुआ है। विश्व का पहला सफेद शेर सीधी जिला मुख्यालय से 80 किलोमीटर दूर कुसमी से लगे गांव पनखोरा के जंगल में पाया गया था। जिसे आज विश्वभर में सफेद शेर ख्याति प्राप्त लोगों को खूब भा रहा है।

वही रीवा और सीधी के अधिकारियों की मानें तो सफेद बाघ सीधी जिले की धरोहर है। विश्वभर में जितने भी सफेद बाघ है उनके सब के पूर्वज मोहन ही है। क्षेत्र की जनता और यहां के जनप्रतिनिधि चाहेंगे तो निश्चित रूप से संभव है। तो वहीं रीवा सीसीएफ राजेश राय की मानें तो यह नीतिगत मशाल है। उन्होंने कहा निर्णय सरकार को लेना है जनप्रतिनिधि और यहां के लोगो की मांग होने पर संभव होगा।

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उन्होंने कहा यह सीधी की धरोहर है। सरकार से निर्देश मिलने के पश्चात प्रस्ताव तैयार करने के संबध में जनप्रतिनिधि, क्षेत्रीय अधिकारी, फील्ड अधिकारी, स्थानीय जनप्रतिनिधियों के माध्यम से विभाग एवम विभाग द्वारा सरकार तक बात रखी जाएगी। उन्होंने ने कहा आज तक ऐसा प्रस्ताव नही आया है। अगर ऐसा प्रस्ताव आता है तो यह विंध्य ही नहीं पूरे भारत के लिए अनोखा होगा। जो पूरी दुनिया में कहीं नहीं है।

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