चंडीगढ़, पंजाब। क्या सिद्धू मूसेवाला को यह अहसास था कि उनकी मृत्यु निकट है ? क्या उन्होंने प्रशंसकों को उतना ही संकेत दिया ? खैर, उनके अंतिम गीत ‘द लास्ट राइड’ के बोलों ने गीत और उनकी मौत की परिस्थितियों के बीच अजीब समानता के कारण नेटिजन्स के बीच एक बहस शुरू कर दी है. गीत है, “हो छब्बर दे चेहरे उते नूर दासदा, नि एहदा उठुगा जवानी च जनता मिथिये (युवा लड़के की आंखों में सब कुछ प्रकट होता है कि अंतिम संस्कार उसकी युवावस्था में होगा).” यह गाना रैपर तुपैक शकूर को श्रद्धांजलि था, जिनकी 1996 में 25 साल की उम्र में उनकी कार में गोली मारकर हत्या कर दी गई थी.

29 साल के मूसेवाला की बेरहमी से की गई थी हत्या

चौंकाने वाली बात यह है कि मानसा जिले के झावाहर के गांव में 29 वर्षीय सिद्धू मूसेवाला को भी गैंगस्टरों ने दिनदहाड़े मार डाला. उन पर 30 राउंड गोलियां चलाई गईं, मकसद साफ था उनकी हत्या. पंजाब की बंदूक हिंसा और गैंगस्टर संस्कृति ने प्रशंसकों और दोस्तों की रीढ़ को हिला दिया है. यह कई बार कहा गया है कि पंजाब में कलाकारों को अक्सर ‘घृणा से भरी टिप्पणियों, धमकियों और नकारात्मक ऊर्जा’ को बर्दाश्त करते हुए काम करना पड़ता है.

मूसेवाला हत्याकांड

कई पंजाबी गायकों को मिल चुकी है धमकी

परमीश वर्मा ‘गल नी कदनी’, अभिनेता-गायक गिप्पी ग्रेवाल और गीतकार करण औजला जैसे गीतों के लिए जाने जाते हैं, कुछ प्रमुख पंजाबी कलाकार हैं, जिन्हें अतीत में गैंगस्टरों द्वारा धमकी दी गई थी. हाल ही में जाने-माने सिंगर मीका ने भी इस प्रवृत्ति की पुष्टि की, जब उन्होंने बताया कि “गिप्पी ग्रेवाल और मनकीरत औलख सहित कई पंजाबी गायकों को भी धमकियां मिली हैं और यह घटना सभी के लिए एक वेक अप कॉल होनी चाहिए. नाम जाहिर नहीं करने की शर्त पर एक पंजाबी गायक ने कहा कि राज्य के कलाकारों को गैंगस्टरों, बंदूकों और झगड़ों पर गीत लिखना बंद कर देना चाहिए.

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सिंगरों को बंदूक संस्कृति को बढ़ावा देने वाले गानों से बचना चाहिए

गायक ने कहा कि हमारी संस्कृति में बदलाव देखा गया है और इसके लिए हमें दोषी ठहराया जाना चाहिए. मुझे नहीं पता कि रैपर या गीतकार अपने एल्बम में खुद को गैंगस्टर कहना क्यों पसंद करते हैं. गैंगस्टर कौन हैं ? क्या वे किसी अच्छे के लिए हैं ? उन्होंने जोर देकर कहा कि पंजाबी संस्कृति प्यार और खुशी के बारे में है. उन्होंने कहा कि गीतों का विषय यही होना चाहिए. उन्होंने कहा कि बंदूकों की आवश्यकता क्यों है ? हमें बंदूकें और गैंगस्टा संस्कृति से अपनी पंजाबी संस्कृति में ट्रैक बदलने की जरूरत है.

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सिद्धू मूसेवाला पर लगे थे गन कल्चर को बढ़ावा देने के आरोप

बंदूक संस्कृति को बढ़ावा देने के आरोप के बाद 2020 में वापस सिद्धू मूसेवाला के खिलाफ पंजाब पुलिस ने आर्म्स एक्ट के तहत केस दर्ज किया था. यह एक्शन उनके गाने ‘पंज गोलियां’ के लिए लिया गया था. एक गायक ने नाम नहीं छापने की शर्त पर कहा कि मैं इस बंदूक मुद्दे को अभी नहीं खींचना चाहता, लेकिन हम इसे कब समझेंगे ? सिद्धू (हत्या) के साथ जो कुछ भी हुआ, उसे उचित नहीं ठहराया जा सकता है. आज तक पूरी इंडस्ट्री सदमे में है. वह युवा विचारों वाला एक युवा था. एक मां ने अपना प्यारा बेटा खो दिया, एक पिता ने अपना गौरवान्वित पुत्र खो दिया, RIP सिद्धू, तुम्हारी कमी खलेगी.