जम्मू कश्मीर में अधिकारियों ने शनिवार को सुरक्षा के मद्देनजर पुराने शहर की ऐतिहासिक जामिया मस्जिद में ईद की नमाज अदा करने की अनुमति नहीं दी और कश्मीर के मुख्य मौलवी मीरवाइज उमर फारूक को भी नजरबंद कर दिया है। अंजुमन औकाफ जामा मस्जिद ने यहां यह जानकारी दी। जामिया मस्जिद मामलों की प्रबंध समिति ने कहा कि अधिकारियों ने एक बार फिर श्रीनगर ईदगाह और साथ ही ऐतिहासिक जामा मस्जिद श्रीनगर में ईद-उल-अजहा की नमाज की अनुमति नहीं दी, मस्जिद के दरवाजे बंद कर दिए और बाहर पुलिस कर्मियों को तैनात कर दिया। परंपरागत रूप से ईद की नमाज ईदगाह में सामूहिक रूप से अदा की जाती है।
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ऐतिहासिक जामा मस्जिद के प्रबंधन ने एक बयान में कहा, ‘श्रीनगर स्थित अंजुमन औकाफ जामा मस्जिद को यह सूचित करते हुए गहरा खेद है कि अधिकारियों ने एक बार फिर ईदगाह के साथ-साथ श्रीनगर की ऐतिहासिक जामा मस्जिद में ईद-उल-अजहा की नमाज अदा करने की अनुमति नहीं दी है।’
बयान में कहा गया है कि प्राधिकारियों ने सुबह (फज्र) की नमाज की भी अनुमति नहीं दी। सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में मीरवाइज ने प्रशासन के इस कदम की कड़ी निंदा की।
मीरवाइज ने कहा, ‘ईद मुबारक! एक बार फिर कश्मीर को दुखद वास्तविकता का सामना करना पड़ा है: ईदगाह में ईद की नमाज़ नहीं पढ़ी गई और जामा मस्जिद लगातार सातवें साल भी बंद है। मुझे भी मेरे घर में नजरबंद रखा गया है।”
उन्होंने कहा, “मुस्लिम बहुल क्षेत्र में मुसलमानों को नमाज अदा न करने के उनके मौलिक अधिकार से वंचित रखा गया है – यहां तक कि दुनिया भर में मनाए जाने वाले उनके सबसे महत्वपूर्ण धार्मिक अवसर पर भी। हम पर शासन करने वालों और लोगों द्वारा चुने गए लोगों के लिए यह कितनी शर्म की बात है, जो हमारे अधिकारों को बार-बार कुचले जाने पर चुप्पी साधे रहते हैं।” अधिकारियों ने अंजुमन द्वारा किए गए दावों का जवाब नहीं दिया।
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भीड़ को उकसाने का लगता रहा है आरोप
गौरतलब है कि, ये वही मीरवाइज है जिसपर धारा 370 खत्म करने से पहले कश्मीर में भीड़ को उकसाने का आरोप लगता था। उस वक्त कश्मीर के जामा मस्जिद के बाहर हर शुक्रवार को नमाज अदा करने के बाद पत्थरबाजी हुआ करती थी। लेकिन 2019 के बाद हालात बदल गए और मीरवाइज जैसे लोगों के पंख कुतरकर उन्हें उनके घरों में नजरबंद रखा जाने लगा।
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सीएम ने केंद्र से फैसले पर पुनर्विचार करने की अपील की
जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने कहा कि वह जामिया मस्जिद में ईद की नमाज़ अदा करने से मना किए जाने से बेहद चिंतित हैं। उन्होंने यह निर्णय लेने वालों के अधिकार पर सवाल उठाया। सीएम अब्दुल्ला ने श्रीनगर में मीडिया से कहा, “मुझे इस बात की कोई जानकारी नहीं है कि ऐसा निर्णय किस आधार पर लिया गया है, लेकिन एक दिन हमें अपने लोगों पर भरोसा करना होगा।
उन्होंने आगे कहा ये वही लोग हैं जो 22 अप्रैल (पहलगाम आतंकवादी हमले) के बाद सामने आए और अपना गुस्सा जाहिर किया और इस कृत्य की निंदा की, लेकिन आज एक बार फिर ऐतिहासिक जामिया में ईद की नमाज की इजाजत नहीं दी गई…मुझे लगता है कि सरकार को इस पर फिर से विचार करना चाहिए।” इस बीच ईद की नमाज पूरी घाटी में अदा की गई और सबसे बड़ी सभा डल झील के किनारे हजरतबल दरगाह में हुई। अधिकारियों ने कहा कि ईद की नमाज पूरी घाटी में शांतिपूर्ण तरीके से अदा की गई।
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