कर्ण मिश्रा, ग्वालियर। 18 साल का लंबा वक्त, 10 से ज्यादा कलेक्टर बदले, फिर भी बूढ़ी आंखे न्याय की आस लगाए बैठी है। जी हां… ग्वालियर में एक बुजुर्ग महिला बीते 18 सालों से न्याय के लिए भटक रही है। उसका कहाना है कि भले ही न्याय पाने की आस में जान चली जाए, पर वह आखिरी सांस तक इस लड़ाई को लड़ेंगी।
दरअसल, गुड़ा क्षेत्र की रहने वाली बुजुर्ग मुन्नीबाई के पति गुलाब सिंह जाटव की मौत साल 2007 में करंट लगने से हो गयी थी। जिले के ही आंतरी थाना क्षेत्र के किरतपुरा गांव के रहने वाले मुकेश जाटव नन्हे जाटव और हुकम सिंह जाटव बुजुर्ग महिला के पति गुलाब सिंह को मजदूरी कराने के नाम पर साथ ले गए थे। जहां आरोप है कि जान से मारने की नीयत से खेत मे बिजली का करंट छोड़ दिया, जिससे गुलाब सिंह जाटव की मौत हो गई।
आरोपियों के खिलाफ कार्रवाई और करंट लगने से हुई मौत के मामले में मिलने वाले मुआवजे की उम्मीद को लेकर वह बीते 18 साल से दर-दर भटक रही है। हैरानी की बात यह है कि इस दौरान 10 से ज्यादा कलेक्टर बदल गए, लेकिन उसको न्याय नही मिला। बुजुर्ग महिला की संतान भी उसे छोड़ चुकी है। ऐसे में मजदूरी कर वह अपना गुजारा करती है।
साल 2013 में बुजुर्ग मुन्नीबाई की शिकायत पर तत्कालीन कलेक्टर पी नरहरि ने संज्ञान लिया और ग्वालियर एसपी को जांच के आधार पर आगे की कार्रवाई के लिए निर्देशित भी किया था। लेकिन उसके बावजूद भी कोई आगे की कार्रवाई नहीं की गई। ऐसे में एक बार फिर उम्मीद के साथ वह ग्वालियर कलेक्टर की जनसुनवाई में पहुंची। जहां एडीएम CB प्रसाद ने सभी मौजूदा दस्तावेजों को जांचने और बुजुर्ग महिला की पीड़ा को सुनने के बाद उसे नियम अनुसार मदद करने का आश्वासन दिया।
हालांकि एडीएम का यह भी कहना है कि बुजुर्ग मुन्नी बाई के पति की मौत करंट लगने से होना बताया गया है, लेकिन इससे जुड़ी कोई FIR या पोस्टमार्टम रिपोर्ट उसके पास मौजूद नहीं है। बिजली विभाग का करंट लगने से मिलने वाले मुआवजे का प्रावधान भी हादसे के समय मौजूद नहीं था। ऐसे में सभी विषयों पर ध्यान रखकर बिजली विभाग के अधिकारियों को नियमानुसार मदद उपलब्ध कराने के निर्देश दिए हैं। वहीं बुजुर्ग महिला का कहना है कि वह अपनी आखिरी सांस तक न्याय के लिए लड़ती रहेगी।
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