नई दिल्ली। Supreme Court Hearing on EVM: सुप्रीम कोर्ट में गुरुवार को ईवीएम-वीवीपैट (EVM-VVPAT) मामले पर सुनवाई हुई। सुनवाई के दौरान शीर्ष अदालत के सामने एक बार फिर से चुनाव आयोग (election Commission) ने EVM-VVPAT के हैक करने की आशंकाओं को पूरी तरह नकार दिया। शीर्ष अदालत ने आयोग से सवाल किया गया कि वह स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव करवाने के लिए उठाए जा रहे कदमों के बारे में विस्तार से बताए। इसके बाद आयोग ने कोर्ट के हर सवालों का जवाब दिया।
चुनाव आयोग के अधिकारी ने बताया कि 100 प्रतिशत मशीन मॉक पोल से गुजरती है। हालांकि, प्रत्याशी 5 प्रतिशत की ही खुद जांच करते है। इस पर अदालत ने सवाल किया कि एक मिनट में कितने वोट पड़ते हैं। इसके जवाब में अधिकारी ने कहा कि 4 से कम वोट पड़ते हैं।
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जस्टिस संजीव खन्ना और जस्टिस दीपांकर दत्ता की पीठ ने मामले की सुनवाई करते हुए कहा कि यह (एक) चुनावी प्रक्रिया है। इसमें पवित्रता होनी चाहिए। किसी को भी यह आशंका नहीं होनी चाहिए कि जिस चीज की उम्मीद की जा रही है, वह नहीं हो रही है। वहीं चुनाव आयोग की तरफ से कोर्ट में वकील मनिंदर सिंह पेश हुए हैं, जबकि याचिकाकर्ताओं की तरफ से वकील निजाम पाशा और प्रशांत भूषण पेश हुए।
सुनवाई के दौरान वकील प्रशांत भूषण ने कहा कि कम से कम यह आदेश दिया जाए कि वीवीपैट मशीन पारदर्शी हो और उसमें बल्ब लगातार जलता रहे, जिससे वोटर को पूरी तरह पुष्टि हो सके। वकील संजय हेगड़े ने कहा कि सभी वीवीपैट पर्चियों को गिनने पर विचार हो। अगर अभी यह नहीं हो सकता, तो कोर्ट अभी हो रहे चुनाव की निष्पक्षता सुनिश्चित करने के लिए कुछ अंतरिम आदेश दे। बाकी मुद्दों पर बाद में सुनवाई हो।
ईवीएम में छेड़छाड़ कर पाना संभव नहीं
वीवीपैट मामले पर सुनवाई कर रहे जज ने चुनाव आयोग अधिकारी से पूछा कि आपके पास कितने VVPAT हैं? अधिकारी ने बताया कि हमारे पास 17 लाख वीवीपैट हैं. इस पर जज ने सवाल किया कि ईवीएम और वीवीपैट की संख्या अलग क्यों है? वहीं, अधिकारी ने यह समझाना चाहा, लेकिन जज को ही लगा कि उनका सवाल चर्चा को भटका रहा है। इसलिए उन्होंने अधिकारी को जवाब देने से मना कर दिया। अदालत ने अधिकारी से बारीक से सवाल किया कि मशीन को अलग-अलग मौके पर हैंडल करने वाले लोगों को उसके आंकड़े को लेकर क्या जानकारी होती है। अधिकारी ने हर बात का संतोषजनक उत्तर दिया। उन्होंने बताया कि आंकड़े के बारे में जान पाना या उसमें छेड़छाड़ कर पाना संभव नहीं है। अधिकारी ने यह भी बताया कि मॉक पोल में प्रत्याशी अपनी इच्छा से किसी भी मशीन को जांच सकते हैं।
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इस तरह काम करता है वीवीपैट
चुनाव आयोग के एक अधिकारी ने जजों को संबोधित करते हुए बताया कि बटन यूनिट में सिर्फ यह जानकारी होती है कि कितने नंबर का बटन दबाया गया। यही जानकारी कंट्रोल यूनिट को जाती है। कंट्रोल यूनिट से वीवीपैट को प्रिंटिंग का कमांड जाता है। इस पर जज ने पूछा तो फिर वीवीपैट को कैसे पता चलता है कि किस सिंबल को प्रकाशित करना है? इस पर अधिकारी ने बताया कि एक बहुत छोटा सिंबल लोडिंग यूनिट होता है, जो टीवी रिमोट के आकार का होता है। उसे बाहर से नियंत्रित नहीं किया जा सकता।
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