बिलासपुर। अचानकमार टाइगर रिजर्व के पास जंगल में शिकारियों ने वन्यजीवों के शिकार के लिए बिजली का तार बिछाया हुआ था, इसे हटाकर वन विभाग को सौंपने में सफलता हासिल हुई है. करीब 5 किलोमीटर तक बिजली का तार बिछाया गया था, जिसमें करंट प्रवाहित किया गया था. इस तार की चपेट में आकर वन्यजीवों की मौत हो जाती और शिकारी इन्हें उठाकर ले जाते और बेच देते.

वाइल्डलाइफ ऐक्टिविस्ट की कोशिश से बची जान

वाइल्डलाइफ ऐक्टिविस्ट मंसूर खान के प्रयासों से जंगली जानवर बिजली के तार की चपेट में आने से बच गए. दरअसल वे 17 दिसंबर को अचानकमार टाइगर रिजर्व के पास जंगल में घूमने के लिए गए थे. यहां घूमने के दौरान उन्होंने इस तार को देखा और वन विभाग को खबर की. तार से कुछ दूरी पर एक मादा तेंदुआ और एक शावक के पंजे का निशान भी मिला. हालांकि मंसूर खान का पैर संयोग से उस तार पर टकराया, हालांकि उस वक्त तार में करंट प्रवाहित नहीं था, लेकिन शिकारियों का मकसद बिजली के तार में करंट प्रवाहित कर जानवरों का शिकार करना था.

बहरहाल इस संयोग ने कई वन्यजीवों की जान बचा दी. वन विभाग ने तार को अपने कब्जे में ले लिया है. बता दें कि पहले भी अचानकमार टाइगर रिजर्व के पास जंगल में बाघ, तेंदुआ, गौर, साम्भर, चीतल, भेड़िया और तरह-तरह के पक्षियों की मौजूदगी मिलती रही है. इस तरह जंगल में पहले भी शिकारी बिजली का सहारा लेकर शिकार करते रहे हैं.

हालांकि ऐसी घटनाओं से वन विभाग की कार्यप्रणाली भी सवालों के घेरे में है. वाइल्डलाइफ ऐक्टिविस्ट मंसूर खान ने बताया कि यहां पदस्थ वन रक्षक कई बीटों के प्रभारी हैं, इसके कारण इनका दौरा यहां कम ही हो पाता है. इसके कारण अवैध कटाई, खनन, शिकार, वनभूमि पर अवैध कब्जा, वन्यजीवों की तस्करी की घटनाएं काफी बढ़ गई हैं.

उन्होंने बताया कि उन्हें 3 दिन पहले यहां 150 नए पेड़ भी कटे मिले.