कुमार इंदर, जबलपुर। क्या लोगों से वसूली करने के लिए दस्तावेजों में हेराफेरी कर विद्युत विभाग घाटा दर्शा रहा है। जी हां यह कहना है विद्युत मामलों के जानकार एडवोकेट राजेंद्र अग्रवाल का। उन्होंने बताया कि विद्युत विभाग साल 2023 और 24 के लिए नए टैरिफ निर्धारण करने के लिए 25 जनवरी सुनवाई करने जा रहा है। जिसमें 3.2 प्रतिशत प्रति यूनिट बिजली के टैरिफ बढ़ाने की तैयारी है।

बिजली मामलों के जानकार राजेंद्र अग्रवाल का कहना है कि विद्युत विभाग ने 15.37 करोड रुपये का घाटा बताते हुए टैरिफ बढ़ाकर उसकी भरपाई करने की बात कही है। जोकि सरासर गलत है। उन्होंने कहा कि असल में विद्युत विभाग जिस घाटे की बात कर रहा है, वह घाटा है ही नहीं, राजेंद्र अग्रवाल का कहना है कि विद्युत विभाग (Electrical Department) दस्तावेजों में हेराफेरी कर इस तरह का घाटा शो कर जनता की जेब पर बोझ डालने की फिराक में है।

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एडवोकेट राजेन्द्र अग्रवाल का कहना है कि, वो साबित कर सकते है कि, बिजली कंपनी को घाटे की जगह 5121 करोड़ का फायदा हो रहा है। लिहाजा बिजली के टैरिफ बढ़ाने की बजाय 10 रुपये प्रति यूनिट के हिसाब से बिजली के रेट घटाने चाहिए। इस संबंध में एडवोकेट राजेन्द्र अग्रवाल (Advocate Rajendra Agarwal) ने विद्युत नियामक आयोग (Electricity Regulatory Commission) में एक आपत्ति भी दर्ज कराई है। जिसमें उन्होंने कहा है कि आगामी 25 जनवरी को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग (Video Conferencing) के माध्यम से होने वाली सुनवाई में उन्हें प्रत्यक्ष रूप से उपस्थित होने का मौका दिया जाए, जिससे कि वह अपनी बात को साबित कर सके।

दस्तावेजों में गड़बड़ी कर घाटा शो करने की कोशिश

आपत्तिकर्ता एडवोकेट राजेन्द्र अग्रवाल का दावा है कि प्रदेश की बिजली कंपनियों ने साल 2020-21 की सत्यापन याचिका के जरिए विद्युत नियामक आयोग से विभिन्न मदों के जरिए 5121 करोड़ रुपये का घाटा शो करते हुए उसकी भरपाई की मांग की थी, लेकिन विद्युत नियामक आयोग ने इन मदों को स्वीकार नहीं किया।

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इसके बावजूद भी बिजली कंपनियों (Electricity Company) ने साल 2023-24 की याचिका में फिर से उन्हीं मदों पर राशि की मांग की है। अगर इन मदों को हटा दिया जाए, तो बिजली कंपनियों को 5121 करोड़ ऊपर का सर प्लस राजस्व (Revenue) मिलेगा। जिससे बिजली के दाम 10 फीसदी तक कम किए जा सकते हैं।

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