रमेश सिन्हा, पिथौरा. उप वन मंडल कसडोल के देवपुर परिक्षेत्र के ग्राम पकरीद में सोमवार को करंट से हाथी की मौत मामले में प्रभारी रेंजर को हटा दिया गया. लल्लूराम डाॅट काम में खबर चलने के बाद हड़कंप में आए प्रशासन ने आज यह कार्रवाई की. देवपुर के प्रभारी रेंजर पंचराम यादव को रेंजर पद से हटाकर देवपुर में ही उनके मूल पद पर विशेष कर्तव्य अधिकारी बनाया गया है. वहीं सहायक परिक्षेत्र अधिकारी को भी हटाने की मांग ग्रामीणों ने की है.

आपकों बता दें 7 नवंबर 2022 को देवपुर परिक्षेत्र बलौदाबाजार वनमंडल के अंतर्गत पूर्व गिधपुरी बीट कक्ष क्रमांक 299 में एक नर हाथी (उम्र लगभग 15 से 18 वर्ष) मृत अवस्था में पाया गया था. मृत नर हाथी के शव परीक्षण के लिए 3 पशु चिकित्सकों का दल गठित किया गया था. शव परीक्षण के बाद पशु चिकित्सक दल द्वारा हाथी की मृत्यु विद्युत करंट से होना बताया गया.
पोस्टमार्टम के बाद शव को विधिवत दफनाया गया. गांव के जिन व्यक्तियों ने विद्युत करेंट का फंदा लगाया गया था उस फंदे की जब्ती बनाई गई और प्रकरण पंजीबद्ध किया गया. इसके बाद दो अभियुक्तों को भी पकड़ा गया है.वन मंडलाधिकारी बलौदाबाजार के पत्र के मुताबिक पंचराम यादव, उप वनक्षेत्रपाल, प्रभारी परिक्षेत्र अधिकारी देवपुर परिक्षेत्र को उक्त घटना के लिए स्पष्टीकरण जारी कर जवाब चाहा गया है कि यदि पंचराम यादव द्वारा वनक्षेत्रों का निरंतर निरीक्षण किया जाता तो फंदे की जानकारी होती.

घटना की सूचना 72 घंटे बाद मिलना खेदजनक
हाथी की मौत की घटना की सूचना 72 घंटे बाद मिलना अत्यंत खेदजनक है एवं कर्तव्य में घोर लापरवाही को दर्शाता है. यादव का अपने अधीनस्थ कर्मचारियों पर नियंत्रण नहीं है. पोस्टमार्टम रिपोर्ट में हाथी की मृत्यु का समय पोस्टमार्टम से 84 घंटे पूर्व होना दर्शित है. इससे स्पष्ट होता है कि हाथी की मृत्यु की सूचना लगभग 3 दिन बाद प्राप्त हुई. वन मंडलाधिकारी बलौदाबाजार के प्रतिवेदन एवं पोस्टमार्टम रिपोर्ट से यह स्पष्ट होता है करंट फंदे का पाया जाना पंचराम यादव, प्रभारी परिक्षेत्र अधिकारी के कर्तव्य में गंभीर चूक एवं घोर लापरवाही को दर्शाता है. यह कृत्य छग सिविल सेवा (आचरण) नियम, 1965 का उल्लंघन है.

डिप्टी रेंजर के खिलाफ आंदोलन की चेतावनी
देवपुर परिक्षेत्र के सहायक परीक्षेत्र अधिकारी नितिन नायक भी हाथी की मौत के मामले में बराबर दोषी हैं. वे जब से पदस्थ हुए हैं तब से मुख्यालय में रहते ही नहीं है. अपने निवास रायपुर में ही रहना पसंद करते हैं. उनके खिलाफ भी पकरीद के ग्रामीणों ने मोर्चा खोल दिया है. उन्हें शीघ्र ही नहीं हटाए जाने पर आंदोलन की चेतावनी दी है.