रायपुर। राजधानी के सभी 65 शराब दुकानों के कर्मचारियों ने 10 अक्टूबर से शराब दुकान बंद करने की चेतावनी दी है. दरअसल शहर के सभी शराब दुकानों पर प्राइवेट ईगल हंट कम्पनी ने कर्मचारियों की नियुक्ति की है. लेकिन पिछले 3 महीनों से करीब 200 से ज्यादा कर्मचारियों की सैलरी रोक दी गई. इसे लेकर कर्मचारियों ने पहले आबकारी अधिकारी के दफ्तर का घेराव किया.
हालांकि अधिकारी ने ठेका कंपनी से बात करने का आश्वासन दिया, जिससे असंतुष्ट होकर कर्मचारी, मंत्री अमर अग्रवाल के बंगले पर पहुंचे. हालांकि मंत्री के बाहर होने से कर्मचारी उनसे मुलाकात नहीं कर पाए. इससे परेशान कर्मचारियों ने 10 अक्टूबर तक उनकी समस्या का निराकरण नहीं होने पर दुकान बंद करने की बात कही है.
कर्मचारियों के आरोप
कर्मचारियों ने आरोप लगाया है कि सरकार ने बेरोजगारों को नौकरी देने के नाम पर सभी की नियुक्ति एक प्राइवेट कंपनी के तहत करवाई है. उन्होंने कहा कि सरकार की तरफ से 15 हज़ार 5 सौ, सुपरवाइजर, सेल्समैन का 10 हज़ार 5 सौ और मल्टी कर्मचारियों का 8 हज़ार 5 सौ रुपए देने का वादा किया गया था, लेकिन इससे आधे पैसे ही उन्हें दिए जा रहे हैं.
कर्मचारियों ने कंपनी पर ओवरटाइम लेने और सैलरी में कटौती करने की भी बात कही है. उन्होंने आरोप लगाया कि उनकी भर्ती तो कर दी गई, लेकिन अब कंपनी मनमानी पर उतर आई है. उनका कहना है कि सरकारी अधिकारियों के संरक्षण में उनकी सैलरी रोकी गई है. साथ ही सैलरी का कुछ हिस्सा भी काटा जा रहा है.
गौरतलब है कि सरकार को शराब दुकानों से करोड़ों रुपए का राजस्व मिल रहा है. रोजाना एक दुकान से औसतन 5 लाख रुपए की आय होती है. किसी-किसी दुकान से तो 15 से 20 लाख रुपए तक की आय रोजाना हो जाती है. इसके बावजूद शराब दुकान पर कैश की सुरक्षा के लिए केवल एक गार्ड की तैनाती की गई है, वो भी दिन के 12 बजे से रात के 10 बजे तक. जबकि रात के 10 बजे के बाद सभी दुकानों में कैश की गिनती और उसे सुरक्षित रखने की जिम्मेदारी कैशियर की होती है. इस काम में 2 से 3 घंटे भी लग जाते हैं.
ऐसे में सरकारी खजाने की सुरक्षा और शराब दुकानों के कर्मचारियों ने रात में सुरक्षा के कोई इंतज़ाम नहीं होने का आरोप भी लगाया है. इधर सवाल ये भी उठता है कि आखिर कर्मचारियों को उनकी सैलरी में होने वाली कटौती की जानकारी क्यों नहीं दी जा रही है, वहीं उनका वेतन भी पिछले 3 महीनों से रोककर क्यों रखा गया है.